श्याम बाबा श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
सच्चा है दरबार तुम्हारा,
संकट काटो श्याम हमारा,
जब जब भीड़ पड़ी भगतों पर,
बाबा नंगे पाँव पधारा,
दुख हरना मेरे दुख हरना, तेरा गुण गाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
दीन दयाल दया के सागर,
फिर क्यों खाली मेरी गागर,
विनती मेरी तुम सुन लेना,
श्याम मुरारी हे नटनागर,
भर देना झोली भर देना, यही आस लाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
जब फागुन का मेला होगा,
अपने पास बुलाना होगा,
मैं मारूँगा भर पिचकारी,
तुमको रंग लगाना होगा,
खेलूँगा होली खेलूँगा, रंग गुलाल लाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
जब जब तेरी याद सतावे,
श्याम सुंदर नैनों में पावे,
सब भक्तों की यही कामना,
सारा जगत सुखी हो जावे,
कर देना सुखी कर देना, तेरे गीत गाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
श्रेणी : खाटु श्याम भजन
Shyam Baba Tere Pas Aaya Hu By Azhar Ali ( Khatudham)
यह भजन "श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ" एक अत्यंत भावपूर्ण और हृदय को स्पर्श करने वाला खाटू श्याम भजन है, जिसे अज़हर अली (Azhar Ali) द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इस भजन में एक भक्त की करुण पुकार, उसकी श्रद्धा, आस्था और शरणागति का अनुपम चित्रण किया गया है। हर पंक्ति में श्याम बाबा के चरणों में समर्पण झलकता है।
भजन की शुरुआत में भक्त श्याम बाबा के दरबार में अपनी अरदास लेकर आता है और कहता है कि वह अपने दुख-दर्द, आशाएँ और विनती लेकर उनके चरणों में पहुँचा है। "सच्चा है दरबार तुम्हारा, संकट काटो श्याम हमारा" जैसी पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि बाबा की महिमा अपरंपार है और संकट के समय वे साक्षात प्रकट होकर भक्तों की रक्षा करते हैं।
भजन में यह भी बताया गया है कि बाबा दीन-दुखियों के सच्चे सहारे हैं, और जब भक्त की गागर खाली रह जाती है तो वह उनसे उसे भरने की प्रार्थना करता है। फागुन के मेले और होली के प्रसंग को जोड़ते हुए भजन में यह कल्पना की गई है कि भक्त रंग और पिचकारी लेकर बाबा के साथ होली खेलना चाहता है — यह बाबा और भक्त के मधुर रिश्ते को और अधिक सजीव बना देता है।
अंत में, भजन में यह प्रार्थना की गई है कि जब-जब बाबा की याद आए, उनका सुंदर स्वरूप भक्त की आंखों के सामने आ जाए और समस्त जगत सुखी हो जाए। इस भजन में भक्ति, प्रेम, समर्पण और भावनाओं की गहराई को इतनी सुंदरता से पिरोया गया है कि श्रोता भावविभोर हो जाता है।
"श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ" न केवल एक भजन है, बल्कि यह एक भक्त की भावनाओं की जीवंत प्रस्तुति है, जो उसे श्याम बाबा के और भी समीप ले जाती है। अज़हर अली की भावनात्मक गायकी इसे और भी प्रभावशाली बना देती है।