जीवन के भंवर में फंस गई है मोरी नैया
“या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।“
जीवन के भंवर में फंस गई है मोरी नैया,
कोई रास्ता मुझको दिखला दो देवी मैया।
आगे गड्ढा, पीछे खाई, मैं क्या करूं माई?
न मेरे पास कोई पतवार है, न है खेवैया।
कोई रास्ता मुझको.............
हमेशा ही जिसका मैंने काम किया माता,
हाल जानने मेरा वो एक बार नहीं आता।
कोई जान पहचान काम नहीं आ रही अब,
लोग कहते हैं अब भी संभल जाओ भैया।
कोई रास्ता मुझको..............
मतलब की दुनिया है, मतलबी यहां लोग,
कोई अपना मिल जाता है, है बड़ा संयोग।
स्वार्थ के रोग से पीड़ित हैं पास के पड़ोसी,
देख रहें हैं दृश्य, वृंदावन से कृष्ण कन्हैया।
कोई रास्ता मुझको...........
कब ढलेगी मेरे जीवन की ये अंधेरी शाम,
इस जमाने में हंसकर मेरा जीना है हराम।
अपने चरणों में थोड़ी जगह दे दो मुझको,
नहीं बदलने वाला है, इस जग का रवैया।
कोई रास्ता मुझको.............
श्रेणी : दुर्गा भजन
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