लक्ष्मण के निकल रहे प्राण
( जब लक्ष्मण शक्ति लगी तो उस समय प्रभु राम का दुःख विलाप किसी को देखते नही बनता था )
मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण
राम जी कर रहे विलाप
उठ उठ जाओ मेरे अनुज
कही दीप न जाये बुझ
राम के मन मे है संताप.....
( मेरे जैसा कोई भी धूर्त ना होगा जो पत्नी वियोग में भाई दे,
मैं युद्ध बिना वापस चला जाता हूं क्या होगा सीता प्राणों को त्यज देगी )
राम का देख कर विलाप
सारे जग मैं हुआ सन्नाटा
स्तब्ध हुए क्या लक्ष्मणजी
सागर में रुका ज्वार भाटा
राम को माँत क्यों नही आती
ये राम कर रहे विलाप....
( में सीता को क्या बोलू, हनुमत क्या पाप किया मैंने एक विजय की चाहत ने मुझे इतना स्वार्थी बना दिया अब विकल्प यही हैं,मैं अब प्राण तजु )
उठ जाओ मेरे लखन
तुम विन सूरज नहीं निकलेगा
तुम विन नही होगी शाम
अब कभी न चॅदा भी निकलेगा
सिय के लिए भाई को खोया
ऐसा स्वार्थ ने लिया आलाप......
श्रेणी : राम भजन
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण | Ram Lakshman Songs | हनुमान जी लाए संजीवनी बूटी | New Ramayan Bhajan
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण लिरिक्स Lakshman Ke Nikal Rahe Pran Hindi Lyrics, Ram Bhajan, by Singer: Anurag Maurya Ji
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