काली कमलिया वाले श्याम मुझे
काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो,
मुझे कमली में छुपा लो, मुझे चरणों में बैठा लो,
काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो......
तेरे दर्शन की प्यासी,
डोलू मैं आस नीराशी,
पैरों में पड़ गए मोरे छाले,
कृष्ण धरनी से उठा लो,
काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो......
मुरली तू फेर बजाइए,
बंसी तू फेर बजाइए,
पहले मोहे गाई सुनाईयॊ,
ऐसी बजैयो नंद के लाल मोहे सोती ने उठईयो,
काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो......
मथुरा में मोहे बुलाईयो,
वृंदावन रास रचईयो,
एसो नचईयो नंद के लाल क जग से प्रीत हटाईयो,
काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो......
श्रेणी : कृष्ण भजन
!! काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो !! बहुत सुन्दर श्याम भजन जरूर सुने
!! काली कमलिया वाले श्याम मुझे कमली में छुपा लो !!
यह भजन कृष्ण भक्ति की उस चरम अवस्था का अद्भुत चित्रण है जहाँ भक्त अपने आराध्य से पूर्ण समर्पण की भावना रखता है। "काली कमलिया वाले श्याम" के नाम से पुकारते हुए, यह भजन उस करुण पुकार को प्रकट करता है जिसमें एक भक्त अपने जीवन के दुःखों और संघर्षों से थककर प्रभु के चरणों में शरण चाहता है।
भजन की हर पंक्ति में भावनाओं का अथाह सागर लहराता है—"मुझे चरणों में बैठा लो", "धरनी से उठा लो", "बंसी तू फेर बजाइए" जैसी पंक्तियाँ श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम, करुणा, और आत्मसमर्पण को बेहद कोमलता से प्रकट करती हैं। भक्त कहता है कि हे नंद के लाल, अपने चरणों में जगह दो, अपने आँचल में छुपा लो—जिसमें संसार के सारे दुखों से मुक्ति मिल जाए।
यह भजन सिर्फ गाया नहीं जाता, यह तो हृदय की गहराइयों से निकली एक पुकार है। जब यह भजन विनोद अग्रवाल जैसे भावपूर्ण गायक की आवाज़ में गूंजता है, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं गोपाल सुन रहे हों। “वृंदावन रास रचईयो” जैसे शब्द भक्त को दिव्य रास की अनुभूति कराते हैं।
यह कृष्ण भजन न केवल कानों को शांति देता है, बल्कि आत्मा को भी श्रीकृष्ण के प्रेम में डुबो देता है।
यह भजन जरूर सुनें और श्रीकृष्ण की करुणा को अनुभव करें।