यह लेख श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में विस्तार से बताता है। यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला माना जाता है। "सोमनाथ" शब्द का अर्थ है चंद्र देव (चंद्रमा) और "नाथ" का अर्थ है भगवान। यह मंदिर प्राचीन काल से ही तीन नदियों, कपिला, हिरण्या और सरस्वती, के संगम पर स्थित है।
मंदिर के केंद्रीय हॉल को अष्टकोणीय शिव-यंत्र की आकृति दी गई है। मंदिर को समुद्र की दीवार से सुरक्षा दी गई है, इसका अर्थ है कि मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच उस विशेष देशांतर पर कोई भूमि नहीं है। इस स्थिति को मंदिर में तीर-स्तंभ द्वारा इंगित किया गया है, जिसे संस्कृत में "बाणस्तंभ" कहा जाता है।
1951 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर का उद्घाटन करते हुए यह कहा कि सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण उस दिन तक पूरा नहीं माना जाएगा जब तक न केवल एक भव्य मंदिर बन गया हो, बल्कि प्रत्येक भारतीय के जीवन में वास्तविक समृद्धि होगी, जिसकी यह प्राचीन सोमनाथ मंदिर एक प्रतीक है। उन्होंने आगे शब्द जोड़ते हुए कहा कि सोमनाथ मंदिर दर्शाता है कि पुनर्निर्माण रूपी शक्ति हमेशा विनाश रूपी नकारात्मकता से विजयी होती है।
मंदिर के मुख्य गर्भगृह में, मंदिर के अधिकृत पुजारियों को छोड़कर सभी का प्रवेश वर्जित है। मंदिर परिसर में इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों, गैजेटों आदि को ले जाने पर प्रतिबंध है। इन सभी वस्तुओं को रखने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा नि:शुल्क क्लोक रूम या लॉकर की सुविधा प्रदान की गई है।
यह लेख मंदिर के महत्व और इसके विशेषताओं को व्यक्त करता है, जैसे कि शिव-यंत्र, समुद्र की सुरक्षा, तीर-स्तंभ आदि। यह आपको मंदिर के इतिहास और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
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