श्यामधणी सु लगन लगाले
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे
श्यामधणी सु लगन लगाले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे,
बिगड़ी बनावे अपना भगत की,
बिगड़ी बनावे अपना भगत की,
श्याम पे बाजी छोड़ दे,
श्याम धनी सु लगन लगा ले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे....
ऐसो दयालु कहां मिलेगो,
खाटू माही बिराजे रे,
खाटू माही बिराजे रे,
शीश को दानी सुने है सबकी,
श्रद्धा भाव सु मना जे रे,
श्रद्धा भाव सु मना जे रे,
भाव को भूखो बैठो बाबो,
प्रीत या साची जोड़ दे,
श्याम धनी सु लगन लगा ले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे....
दर सु कोई जाए ना खाली,
झोली सबकी भरावे रे,
झोली सबकी भरावे रे,
मन की सारी पूरी कर दे,
जो भी अर्ज लगावे रे,
जो भी अर्ज लगावे रे,
खाटू वालो श्याम है सांचो,
यो कष्टा का रुख मोड़ दे,
श्याम धनी सु लगन लगा ले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे....
पावन कर ले अपने मुख ने,
नाम श्याम को गाले रे,
नाम श्याम को गाले रे,
झूठो सारो जगत झमेलों,
शरण श्याम की पा ले रे,
तू शरण श्याम की पा ले रे,
'राकेश' शरण श्याम की ले ले,
'सुरभि' तू चिंता छोड़ दे,
श्याम धनी सु लगन लगा ले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे....
श्यामधणी सु लगन लगाले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे,
बिगड़ी बनावे अपना भगत की,
बिगड़ी बनावे अपना भगत की,
श्याम पे बाजी छोड़ दे,
श्याम धनी सु लगन लगा ले,
चिंता फिकर सारी छोड़ दे....
यह भी देखें : श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ लिरिक्स
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Shyam Dhani Su Lagan Lagale || Surbhi Chaturvedi || श्याम धनी सु लगन लगाले || Shyam Baba Bhajan 2024
"श्यामधणी सु लगन लगाले" एक अत्यंत भावनात्मक और भक्ति से ओतप्रोत खाटू श्याम भजन है, जो हर उस भक्त के हृदय की सच्ची भावना को स्वर देता है जो अपने जीवन की चिंता, पीड़ा और उलझनों को श्याम बाबा के चरणों में समर्पित कर देना चाहता है। यह भजन "नगरी नगरी द्वारे द्वारे" की तर्ज पर गाया गया है, जिसकी हर पंक्ति श्याम बाबा की कृपा, दया और उनकी भक्तों के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाती है।
भजन की शुरुआत में ही यह संदेश मिलता है कि जब जीवन में चिंताओं का बोझ बढ़ जाए, जब कोई रास्ता न दिखे, तो बस एक ही उपाय शेष बचता है — श्यामधणी से सच्ची लगन लगाना और अपनी सारी चिंता, फिक्र, और उलझनें उनके चरणों में छोड़ देना। भजन में खाटू श्याम को दयालु, श्रद्धा भाव से प्रसन्न होने वाले, और सच्चे प्रेम से भक्ति स्वीकार करने वाले देवता के रूप में चित्रित किया गया है।
यह भजन इस बात को रेखांकित करता है कि श्याम बाबा के दर से कोई भी खाली नहीं लौटता। जो सच्चे मन से अर्ज करता है, उसकी झोली बाबा अवश्य भरते हैं। भक्त चाहे कितने भी कष्ट में हो, श्याम बाबा उसकी बिगड़ी बना देते हैं। उनकी शरण में आने से दुःख का रुख ही मोड़ जाता है। अंत में भजन यह संदेश देता है कि संसार के झमेलों और झूठे मोह से ऊपर उठकर केवल श्याम के नाम को अपने जीवन का आधार बना लो, और उनका स्मरण करके अपने जीवन को पावन बना लो।
यह भजन 'सुरभि चतुर्वेदी' की मधुर आवाज़ में 2024 में प्रस्तुत किया गया है, और इसमें 'राकेश' का नाम भी एक प्रेरणास्रोत के रूप में लिया गया है, जो दर्शाता है कि सच्चे भाव से जिसने भी शरण ली, उसे श्याम बाबा ने निहाल किया। इस भजन की सादगी, भावप्रवणता और तर्ज की मिठास श्रोता को सीधे श्याम बाबा के दरबार में पहुँचा देती है।