श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
सच्चा है दरबार तुम्हारा,
संकट काटो श्याम हमारा,
जब जब भीड़ पड़ी भगतों पर,
बाबा नंगे पाँव पधारा,
दुख हरना मेरे दुख हरना, तेरा गुण गाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
दीन दयाल दया के सागर,
फिर क्यों खाली मेरी गागर,
विनती मेरी तुम सुन लेना,
श्याम मुरारी हे नटनागर,
भर देना झोली भर देना, यही आस लाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
जब फागुन का मेला होगा,
अपने पास बुलाना होगा,
मैं मारूँगा भर पिचकारी,
तुमको रंग लगाना होगा,
खेलूँगा होली खेलूँगा, रंग गुलाल लाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
जब जब तेरी याद सतावे,
श्याम सुंदर नैनों में पावे,
सब भक्तों की यही कामना,
सारा जगत सुखी हो जावे,
कर देना सुखी कर देना, तेरे गीत गाया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ,
श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ।
श्रेणी : खाटु श्याम भजन
Falgun Special - अरदास - Shyam Singh Chouhan Khatu | New Shyam Bhajan
"श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ" एक अत्यंत भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी खाटू श्याम भजन है, जो सच्चे भक्त की पुकार और शरणागत भाव को अभिव्यक्त करता है। इस भजन में श्याम बाबा के चरणों में समर्पण, आस्था और अरदास को सरल शब्दों में अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह भजन Falgun Special के रूप में लोकप्रिय हुआ है और इसे Shyam Singh Chouhan Khatu ने प्रस्तुत किया है।
भजन की शुरुआत ही एक भक्त की भावनात्मक पुकार से होती है –
"श्याम बाबा, श्याम बाबा, तेरे पास आया हूँ,
चरणों में तेरे अरदास लाया हूँ..."
यह पंक्ति उस गहरे विश्वास और प्रेम का प्रतीक है, जो एक भक्त अपने इष्टदेव श्याम बाबा के लिए रखता है। हर पंक्ति में भक्त अपने दुखों, परेशानियों, और मन की व्यथा को श्याम के चरणों में अर्पित करता है।
भजन में यह भी वर्णन किया गया है कि जब जब संकट आया, श्याम बाबा स्वयं नंगे पाँव आकर अपने भक्तों की रक्षा करने पहुँचे। यह श्याम बाबा की करुणा और उनकी "शरण में आने वाले को न छोड़ने" की लीला को दर्शाता है।
"दीन दयाल दया के सागर," जैसी पंक्तियाँ बाबा की कृपालुता का वर्णन करती हैं और यही विश्वास दिलाती हैं कि यदि मन से पुकारा जाए तो बाबा कभी खाली नहीं लौटाते।
फाल्गुन के पावन महीने और होली के उल्लास को भी इस भजन में खूबसूरती से जोड़ा गया है —
"मैं मारूँगा भर पिचकारी, तुमको रंग लगाना होगा," — ये पंक्तियाँ श्याम बाबा के साथ होली खेलने की कल्पना को जीवंत कर देती हैं और भक्त का प्रेम एक बालक जैसे चंचल भाव में प्रकट होता है।
अंत में भजन में यह कामना की गई है कि सारा संसार सुखी हो जाए और हर भक्त के जीवन में शांति व आनंद बरसे।
"कर देना सुखी कर देना, तेरे गीत गाया हूँ..." — यह पंक्ति हर भक्त की उस साधना का सार है जो वह श्याम के लिए करता है।
यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक भक्त की सच्ची प्रार्थना है। इसमें भाव है, भक्ति है, और वह शक्ति भी है जो सुनने वाले को सीधे खाटू धाम से जोड़ देती है। इसकी सादगी, सच्चाई और सुरों की मिठास इसे और भी विशेष बना देती है।