नवरात्र व्रत की महिमा: कैसे सुमति ने देवी दुर्गा से वरदान पाया
एक समय की बात है, बृहस्पति जी ने ब्रह्माजी से प्रश्न किया: "हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चैत्र और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों मनाया जाता है? इस व्रत का क्या महत्व है, और इसे कैसे करना चाहिए? इसे सबसे पहले किसने किया?"
बृहस्पति जी का ऐसा प्रश्न सुनकर ब्रह्माजी ने कहा: "हे बृहस्पति! तुमने बहुत उत्तम प्रश्न किया है। जो लोग नवरात्र व्रत करते हैं और देवी दुर्गा, भगवान महादेव, सूर्य, और नारायण का ध्यान करते हैं, वे धन्य होते हैं। इस व्रत से पुत्र, धन, विद्या और सुख की प्राप्ति होती है, और रोगी मनुष्य के रोग भी दूर हो जाते हैं। यह व्रत समस्त पापों को मिटाकर घर में समृद्धि लाता है।"
नवरात्र व्रत की कहानी
प्राचीन काल में मनोहर नगर में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहता था, जो भगवती दुर्गा का परम भक्त था। उसकी एक कन्या, सुमति, अत्यंत सुंदर और सद्गुणों से युक्त थी। सुमति अपने पिता के साथ दुर्गा पूजन में प्रतिदिन उपस्थित रहती, लेकिन एक दिन खेल में लीन होकर वह पूजा में नहीं आ सकी।
उसके पिता को इस पर क्रोध आया और उन्होंने कहा, "तूने देवी का पूजन नहीं किया, इसलिए तेरा विवाह किसी दरिद्र या कुष्ट रोगी से करूंगा।" सुमति ने धैर्यपूर्वक उत्तर दिया, "पिता जी, जो भी मेरे भाग्य में लिखा है, वही होगा। आप मुझे जिससे चाहें विवाह कर दें।"
सुमति का विवाह एक कुष्टी व्यक्ति से कर दिया गया, और वह अपने पति के साथ वन में चली गई। वन में उन्हें अनेक कष्ट सहने पड़े। लेकिन सुमति के धैर्य और पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से देवी भगवती प्रकट हुईं और वरदान मांगने को कहा। सुमति ने विनम्रता से कहा, "हे माँ! मेरे पति का कुष्ठ रोग दूर कर दें।" देवी ने कहा, "तुमने पूर्व जन्म में अनजाने में नवरात्र व्रत किया था, उसी व्रत के एक दिन का पुण्य अर्पण करो, जिससे तुम्हारे पति का कुष्ठ रोग ठीक हो जाएगा।"
सुमति ने ऐसा ही किया और उसके पति का कुष्ठ रोग दूर हो गया। देवी ने सुमति को वरदान दिया कि उसे एक बुद्धिमान और संपन्न पुत्र की प्राप्ति होगी।
नवरात्र व्रत की विधि
भगवती दुर्गा ने सुमति को नवरात्र व्रत की विधि भी बताई। नवरात्र का व्रत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर नौ दिनों तक चलता है। यदि उपवास कठिन हो, तो एक समय भोजन करें। घट स्थापना करें, देवी की प्रतिमा स्थापित करें, और प्रतिदिन पूजा-अर्चना करें। हवन में खीर, बेलपत्र, केले, आंवले जैसे पदार्थों का उपयोग करें। यह व्रत करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नवरात्र व्रत का महत्व
नवरात्र व्रत का पालन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करता है, वह इस संसार में सुख पाता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।