ऐसी समाधि लगाई रे
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले,
अखियां ना खोले अखियां ना खोले.....
रिद्धि भी जगाए सिद्धि भी जगाए,
गणपत ने शंख बजाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....
ब्रम्हा भी जगाए विष्णु भी जगाए,
नारद ने वीणा बजाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....
राम भी जगाए उन्हें लक्ष्मण भी जगाए,
हनुमत ने चुटकी बजाई भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....
सीता जी जगाए उन्हें राधा जी जगाए,
गौरा ने पायल छनकाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....
संत भी जगाए महंत भी जगाए,
भक्तों ने विनती सुनाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....
श्रेणी : शिव भजन
मधुर शिव भजन- ऐसी समाधि लगाई रे देखो भोला ना जागे।। #shiv bhajan #devotional
यह भजन "ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले" भगवान शिव की गहन भक्ति और ध्यान की महिमा का वर्णन करता है। इसमें भगवान शिव के निराकार और साकार रूपों के माध्यम से उनके अद्वितीय स्वरूप और शक्ति का बखान किया गया है। भजन में बताया गया है कि शिव जी की भक्ति में जो व्यक्ति समर्पित हो जाता है, वह अपनी समाधि में इतनी गहरी स्थितियों तक पहुँच जाता है कि उसकी आंखें भी न खुलती हैं।
यह भजन बताता है कि शिव के भक्तों की भक्ति और साधना इतनी प्रगाढ़ होती है कि पूरी सृष्टि के देवता जैसे रिद्धि-सिद्धि, ब्रह्मा, विष्णु, राम, लक्ष्मण, हनुमान, सीता जी और राधा जी भी उस भक्त को जगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन शिव के ध्यान में डूबा भक्त बिना किसी विचलन के समाधि में रहता है।
इस भजन के माध्यम से एक गहरी श्रद्धा और भक्ति की भावना व्यक्त की जाती है, जिसमें यह दिखाया गया है कि भगवान शिव के भक्त अपने पूर्ण समर्पण से परे, किसी भी बाहरी शक्ति से अप्रभावित रहते हुए अपनी साधना में लीन रहते हैं।
"ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले" को सुनकर या गाकर भक्त भगवान शिव के दिव्य ध्यान में समाहित हो जाते हैं। यह भजन शिव भक्ति की गहरी और अद्वितीय स्थिति का प्रतीक है।