बाबा तेरा निवास उज्जैन धाम है
(तर्ज - श्याम तेरे भरोसे मेरे परिवार है )
बाबा तेरा निवास उज्जैन धाम है,
उज्जैन कहो या काशी दोनों दिल के पास है,
हार के जब भी मैं तो द्वार तेरे पे आया,
बाबा ने मुझको कस के अपने गले से लगाया,
खड़ा है तू साथ मेरे मुझे एहसास है,
उज्जैन कहो या काशी दोनों दिल के पास है,
गैरों से ज्यादा चोट मेने तो अपनों खाई,
सुख में ना बाबा तेरी कभी है याद आई,
दुखों को मिटारा मुझे विश्वास है,
उज्जैन कहो या काशी दोनों दिल के पास है,
लक्की जब से तेरे धाम पर आया बाबा,
प्यार से अपना हाथ सिर पर फिराया बाबा,
हम तो माहाकाल तेरे चरणों के दास है,
उज्जैन कहो या काशी दोनों दिल के पास है,
Lyr ics - lucky Shukla
श्रेणी : खाटू श्याम भजन

यह भजन "बाबा तेरा निवास उज्जैन धाम है" लकी शुक्ला (Lucky Shukla) द्वारा लिखा गया एक अत्यंत भावपूर्ण और श्रद्धा से भरा हुआ भजन है, जिसकी तर्ज प्रसिद्ध भजन "श्याम तेरे भरोसे मेरे परिवार है..." से ली गई है। यह रचना महाकाल बाबा के प्रति गहन भक्ति और निष्ठा को दर्शाती है, जिसमें उज्जैन और काशी — दोनों पवित्र धामों को हृदय के अत्यंत समीप बताया गया है।
भजन की हर पंक्ति में एक भक्त की वेदना, उसका समर्पण और बाबा महाकाल के प्रति अडिग आस्था दिखाई देती है। जब भी जीवन में हार और पीड़ा ने घेरा, तब वह बाबा के द्वार आया और बाबा ने उसे अपने प्रेम में बांध लिया। यही अनुभव उसे एहसास दिलाता है कि महाकाल उसके साथ हैं, सदा, हर परिस्थिति में।
यह भजन एक सच्चाई को भी उजागर करता है कि जीवन में अपनों से ही अक्सर सबसे गहरी चोट मिलती है, लेकिन ऐसे समय में जब दुनिया साथ नहीं देती, तब सिर्फ महाकाल ही दुखों को हरते हैं। यह भरोसा ही भजन का मूल है।
अंत में लकी शुक्ला स्वयं स्वीकारते हैं कि जब उन्होंने बाबा के धाम की ओर कदम बढ़ाया, तो उन्हें बाबा का स्नेह और आशीर्वाद मिला। यह भजन स्पष्ट रूप से महाकाल के चरणों में आत्मसमर्पण का प्रतीक है।
इस प्रकार यह भजन न केवल सुनने वालों को शिव भक्ति में डुबो देता है, बल्कि यह भी बताता है कि उज्जैन हो या काशी – बाबा महाकाल हर भक्त के दिल में बसते हैं। एक सच्चे भक्त की आवाज और भावनाओं से लिखी यह रचना हर शिवभक्त के हृदय को छू जाती है।