मैं तो महाकाल की छाया में पल रहा हु
(तर्ज - देखा तेनु पहली पहली बार वे )
मैं तो महाकाल की छाया में पल रहा हु,
मैं तो अपने बाबा के पीछे चल रहा हूं,
क्या कोई बिगाड़ेगा मेरा इस जहां में,
पहली बार जब धाम पर मैं आया था,
बाबा ने मुझे हंसकर गले लगाया था,
कहने लगे भोले शंभू तू किस इंतजार में,
क्या कोई बिगाड़ेगा मेरा इस जहां में,
आंखों में जब भी आंसू ये भर आते हैं,
मेरे आंसू बाबा देख ना पाते है,
पकड़ा मेरा ये हाथ सबके सामने,
क्या कोई बिगाड़ेगा मेरा इस जहां में,
लकी को तो तूने ही अपनाया है,
अपनी कृपा से भाव लिखवाया है,
कहता वो सबसे महाकाल साथ में,
क्या कोई बिगाड़ेगा मेरा इस जहां में,
Lyr ics - lucky Shukla
श्रेणी : शिव भजन

यह भजन "मैं तो महाकाल की छाया में पल रहा हूँ" एक अत्यंत भावनात्मक और श्रद्धा से परिपूर्ण रचना है, जिसे लकी शुक्ला (Lucky Shukla) द्वारा लिखा गया है। इसकी तर्ज लोकप्रिय गाने "देखा तेनु पहली पहली बार वे..." से प्रेरित है, परंतु इसमें भक्त और भगवान महाकाल के बीच के अनमोल रिश्ते को बड़ी सुंदरता से दर्शाया गया है।
इस भजन में भक्ति का गहराई से अनुभव होता है — एक सच्चा भक्त कैसे अपने आराध्य, महाकाल के साए में जीता है, कैसे उसे विश्वास है कि जब तक उसके साथ महाकाल हैं, तब तक कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। भजन की हर पंक्ति में शिव की कृपा, उनका आशीर्वाद और उनके प्रति अटूट विश्वास झलकता है।
भजन का आरंभ उस पल से होता है जब भक्त पहली बार महाकाल के धाम पर आता है और बाबा भोलेनाथ उसे प्रेमपूर्वक गले लगाते हैं। यह दृश्य एक दिव्य अनुभूति का प्रतीक बनता है। आगे की पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि जब-जब भक्त की आँखों में आँसू आते हैं, महाकाल स्वयं उसका हाथ थाम लेते हैं और उसे सान्त्वना देते हैं। अंत में यह भाव आता है कि लकी शुक्ला जैसे भक्त को स्वयं महाकाल ने अपनाया है और उनके माध्यम से यह भावपूर्ण भजन संसार को सौंपा है।
यह भजन न केवल सुनने वालों को भक्ति में डुबो देता है, बल्कि उन्हें भी शिव के प्रति अपनी आस्था को प्रगाढ़ करने की प्रेरणा देता है। महाकाल के प्रति ऐसा प्रेम, विश्वास और समर्पण विरले ही देखने को मिलता है, जो इस रचना के माध्यम से अत्यंत सुंदरता से प्रकट हुआ है।