कभी घर आना तुम बाबा
तर्ज - तेरा दर तो हकीकत में दुखियों का ठिकाना है
कभी घर आना तुम बाबा यह घर तो तुम्हारा है,
जितना तुमसे कहूं बाबा तुमको लगता बहाना है,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है,
रूठी मुझे किस्मत है,
गर्दिश में ये सितारे हैं 2
अब बात रखो बाबा हमे तेरा सहारा हैं,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है,
टूटी फूटी एक कुटिया है,
तेरे आने पर सजाई है 2
अब देर ना करो बाबा भक्तों ने पुकारा है,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है,
खोटा ये सिक्का है,
तूने उसको चलाया है 2
लकी ने बाबा तेरा प्यार को पाया हैं,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है,
Lyri cs - lucky Shukla
श्रेणी : शिव भजन

भजन "कभी घर आना तुम बाबा" एक बहुत ही भावुक और श्रद्धापूर्ण भजन है, जिसे लकी शुक्ला द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है। यह भजन भगवान श्याम बाबा या शिव भगवान के प्रति एक गहरी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करता है, और भक्तों के दिलों में उनकी उपस्थिति का एहसास कराता है। इस भजन में भक्त बाबा से अनुरोध करते हैं कि वे उनके घर आएं और उनके जीवन को आशीर्वाद और प्रेम से भर दें।
"कभी घर आना तुम बाबा यह घर तो तुम्हारा है" इस पंक्ति में भगवान से अनुरोध किया जा रहा है कि वे अपने भक्तों के घर में आकर अपनी कृपा बरसाएं। यह दर्शाता है कि भक्तों का घर भगवान के लिए हमेशा स्वागतपूर्ण है और उन्हें अपने घर में जगह देने का अवसर चाहता है। "जितना तुमसे कहूं बाबा तुमको लगता बहाना है" में भक्त यह स्वीकार करते हैं कि शब्दों से भगवान की महानता और प्रेम का सही तरीके से वर्णन नहीं किया जा सकता।
"दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है" यह पंक्ति भक्त की आस्था को व्यक्त करती है, जिसमें वे भगवान के दरबार को अपने घर में स्थापित करना चाहते हैं। यह एक प्रतीक है कि वे अपने घर में भगवान के आशीर्वाद और प्रेम को लाना चाहते हैं।
"टूटी फूटी एक कुटिया है, तेरे आने पर सजाई है" यह पंक्ति भगवान के स्वागत के लिए भक्त के घर की स्थिति को दर्शाती है, जो चाहे जितना भी साधारण हो, लेकिन भगवान के आगमन से वह सज चुका है। भक्त अपने जीवन की हर कठिनाई को भूलकर भगवान के स्वागत में खो जाते हैं।