ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए, Naa Hi Dhage wala Koi Jantra Chahiye

ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए



( तर्ज - बैठी किथे बदला तो दूर होनी है )

ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए,
ना ही टोटके का कोई मंत्र चाहिए,
मिलने से मिले मुझे खुशी भरपूर,
श्याम जैसा मुझे एक यार चाहिए,

बात कोई ऐसी बतलाओ सांवरे,
मेरा साथ तुम निभाओ सांवरे,
जरा सा तुम मुस्कुराओ सांवरे,
तेरा प्यार हमको जरूर चाहिए,

ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए .....

मंदिर में तो रोज आऊं सांवरे,
गुलाब का फूल मैं लाऊ सांवरे,
तान मै तो ये गुनगुनाऊं सांवरे,
तेरी मोर छड़ी का झाड़ा जरूर चाहिए,

ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए .....

लकी को बाबा लिखवाता रहे,
मनीष ये भजन को गाता रहे,
सचिन प्रेमियों को लाता रहे,
बाबा की कृपा हमको चाहिए,

ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए .....

Lyri cs - lucky Shukla



श्रेणी : खाटू श्याम भजन

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भजन "ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए" खाटू श्याम के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है। इसे लकी शुक्ला द्वारा लिखा गया है, और यह भजन श्याम बाबा की कृपा और आशीर्वाद की महिमा को दर्शाता है। इस भजन में किसी प्रकार के तंत्र-मंत्र या जंत्र की आवश्यकता को नकारते हुए, केवल श्याम बाबा के प्यार और आशीर्वाद की तलाश की जाती है।

भजन की शुरुआत में "ना ही धागे वाला कोई जंत्र चाहिए, ना ही टोटके का कोई मंत्र चाहिए" से यह दर्शाया गया है कि भक्त केवल श्याम बाबा की असीम कृपा और प्रेम को चाहते हैं। वे श्याम बाबा के मिलन से खुशी और संतोष की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। "मिलने से मिले मुझे खुशी भरपूर, श्याम जैसा मुझे एक यार चाहिए" में श्याम बाबा को अपने सच्चे मित्र के रूप में स्वीकार किया गया है, जिनकी प्रेमपूर्ण और पवित्र उपस्थिति भक्तों को शांति और सुख देती है।

आगे, भजन में श्याम बाबा से यह अनुरोध किया जाता है कि वे मुस्कुराएं और अपना साथ हमेशा निभाएं। "बात कोई ऐसी बतलाओ सांवरे, मेरा साथ तुम निभाओ सांवरे" यह पंक्ति दर्शाती है कि श्याम बाबा का साथ जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद है।

"मंदिर में तो रोज आऊं सांवरे, गुलाब का फूल मैं लाऊ सांवरे" से यह पता चलता है कि भक्त श्याम बाबा के दरबार में श्रद्धा और प्रेम से उपस्थित होना चाहते हैं, और उनकी उपस्थिति में गुलाब जैसे फूल चढ़ाना चाहते हैं। इसके साथ ही, श्याम बाबा की मोर छड़ी का झाड़ा भी इस भजन में मांगा जाता है, जो शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है।

इस भजन के अंत में, "लकी को बाबा लिखवाता रहे, मनीष ये भजन को गाता रहे, सचिन प्रेमियों को लाता रहे, बाबा की कृपा हमको चाहिए" में यह बताया गया है कि भजन का गायक और उसके साथ जुड़े लोग बाबा की कृपा के पात्र बनें और उनके आशीर्वाद से हर कदम पर सफलता और शांति प्राप्त करें।

Harshit Jain

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