मन में तो आवे भजन बनाऊं - man mein to aave bhajan banau

मन में तो आवे भजन बनाऊं



मन में तो आवे भजन बनाऊं

मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
भजन बना के बालासा,
भजन बना के बालासा तुझको रिझाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं ...

बुद्धि है कोरी, ज्ञान भी नहीं है,
कैसे बखानू तुझे शब्द ही नहीं है,
बुद्धि है कोरी, ज्ञान भी नहीं है,
कैसे बखानू तुझे शब्द ही नहीं है,
भावों के भंवर से बालासा-2, कैसे पार पाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं ...

भक्त शिरोमणि राम के हो प्यारे,
अष्टसिद्धि के दाता सिया के दुलारे,
भक्त शिरोमणि राम के हो प्यारे,
अष्टसिद्धि के दाता सिया के दुलारे,
सिंदूरी चोला वाले-2, कैसे मैं रिझाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं ...

अद्भुत रूप है अति मनभावन,
तुम हो प्रभुजी मेरे, पतितो के पावन,
अद्भुत रूप है अति मनभावन,
तुम हो प्रभुजी मेरे, पतितो के पावन,
द्वार खड़ा मै तेरे-2, मेहर तेरी पाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं ...

मैं हूं गरीब तुम गरीब नवाज़ हो,
मेरे हर सवाल का प्रभु तुम ही जवाब हो,
मैं हूं गरीब तुम गरीब नवाज़ हो,
मेरे हर सवाल का प्रभु तुम ही जवाब हो,
तुमसे ही हस्ती मेरी-2, तुम्ही में समाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
भजन बना के बालासा,
भजन बना के बालासा तुझको रिझाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं,
मन में तो आवे भजन बनाऊं ...

गायिका - रंजना गुंजन "भारतिया"
रचना - रंजना गुंजन "भारतिया"
संगीत - सकल देव साहनी



श्रेणी : हनुमान भजन



Mann Mein Toh Aave Bhajan Banaun

यह भजन "मन में तो आवे भजन बनाऊं" एक भक्त की अपने प्रभु श्री हनुमान जी के प्रति गहरी श्रद्धा, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। रंजना गुंजन "भारतिया" की आवाज़ में यह भजन सजीव हो उठता है और भक्तों को भगवान की भक्ति में डूबो देता है।

भजन की पंक्तियाँ "मन में तो आवे भजन बनाऊं, भजन बना के बालासा तुझको रिझाऊं," यह व्यक्त करती हैं कि भक्त का मन अपने प्रभु के प्रति असीम श्रद्धा से भरा हुआ है और वह हनुमान जी को अपने भावों से रिझाने के लिए भजन रचने की चाहत रखता है।

"बुद्धि है कोरी, ज्ञान भी नहीं है, कैसे बखानू तुझे शब्द ही नहीं है," में भक्त अपनी सीमित बुद्धि और ज्ञान को स्वीकारते हुए यह स्वीकार करते हैं कि वह श्री हनुमान जी के अनंत रूप, उनके चरित्र और उनकी महिमा का सही वर्णन शब्दों में नहीं कर सकते।

भजन में यह भी कहा गया है कि हनुमान जी के अद्भुत रूप को कोई भी शब्द नहीं व्यक्त कर सकता, लेकिन भक्त अपनी आत्मा से भक्ति में लीन होकर उन्हें रिझाना चाहता है। "तुम हो प्रभुजी मेरे, पतितो के पावन" में भक्त श्री हनुमान जी को पापियों के उद्धारक के रूप में पूजते हैं।

भजन का अंत यह संदेश देता है कि भगवान हनुमान ही हर संकट में मदद करते हैं और वह अपने भक्तों को हमेशा अपनी कृपा से आशीर्वाद देते हैं। यह भजन न केवल हनुमान जी के प्रति प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करता है, बल्कि भक्तों को भी उनकी शक्ति और कृपा का अहसास कराता है। 🚩🙏🏻

Harshit Jain

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