सब आरती उतारो यदुनन्दन की
सब आरती उतारो यदुनन्दन की
सब आरती उतारो यदुनन्दन की ।
यदुनन्दन की नन्दनन्दन की ।। सब...
कंचन थाल धूप-घृत-बाती ।
और कपूर ज्योति हर्षाती ।।
पुष्प इत्र अरु चन्दन की । सब.....
मोर मुकुट की शोभा प्यारी ।
पीताम्बर की छटा है न्यारी ॥
मन बसिया जगवन्दन की । सब....
मकराकृत कुण्डल अति सोहै ।
घुँघरालीं अलकें मन मोहैं ।
कुंकुम तिलक सुगंधन की । सब....
प्रिय राधा बाबा प्रिय मैया ।
कान्त सखा प्रिय प्रिय सब गैया ॥
भक्त और सब संतन की । सब....
स्वर : शत्रुघ्न जी
रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज
श्रेणी : कृष्ण भजन
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|| सब आरती उतारो यदुनन्दन की ||
स्वर : शत्रुघ्न जी | रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज
यह भजन “सब आरती उतारो यदुनन्दन की” भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन एक अत्यंत भावपूर्ण आरती है, जिसे सुनते ही मन श्रद्धा और प्रेम से भर उठता है। इस भजन को स्वर दिया है प्रसिद्ध भजन गायक शत्रुघ्न जी ने, और इसकी रचना की है दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ने, जो कृष्ण भक्ति मार्ग में अपनी विलक्षण साधना और रचनात्मकता के लिए विख्यात हैं।
भजन में श्रीकृष्ण की दिव्य छवि का अत्यंत सुंदर वर्णन किया गया है – उनके कंचन थाल, धूप, कपूर, पुष्प और चन्दन से की जा रही आरती का दृश्य भक्तों की आंखों में बस जाता है। मोर मुकुट, पीताम्बर, मकराकृति कुण्डल और घुँघराली अलकों के माध्यम से उनके रूप की मोहकता का अद्भुत चित्रण किया गया है। साथ ही, राधा रानी, यशोदा मैया, नंद बाबा और ग्वाल-बालों के प्रति उनकी स्नेहमयी लीलाओं का भी स्मरण कराया गया है।
यह आरती सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो भक्तों के हृदय को भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर देती है। इसकी भाषा सरल, कोमल और भावों से ओतप्रोत है, जो हर भजन प्रेमी को कृष्णमय कर देती है। यह रचना न केवल संगीतात्मक रूप से समृद्ध है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावशाली है।