इक बार जे तू शामा मैनु अपना बना लैंदा
इक बार जे तू श्यामा मैनु अपना बना लेंदां,
ना दर दर मै रूलदी जे तू कोल बिठा लैंदा,
कर्मा दी गल सारी कोई दोष नहीं तेरा,
जीनू अपना बनाया सी ओ बनया नहीं मेरा,
जे मैं पाप ही कीते सी तूं परदे पा देंदा,
इक बार जे तू श्यामा मैनु अपना बणा लेंदां.....
मेरे लेख लिखन वेले कोई सोच ना किता ऐ,
हून मैं नहीं सह सकदी जो मेरे नाल बिता ए,
जे मैं ही भूल गई सी तां तू याद करा दें दां,
इक बार जे तू श्यामा मैनु अपना बना लैंदा .....
मुश्किलां आंदीयां ने सारे ही छड्ड जान्दे ने,
पालन वाले भी ना हाय कोल बिठान्दे ने,
जे मैं हीं रूस गई सी तूं आप मना लेंदां,
इक बार जे तू श्यामा मैनु अपना बना लैंदा .....
अखां विच हंजू ने बूलां ते नाम तेरा,
हुन मैं नही जी सकदी आके पड़ लै हथ मेरा
मेरी नैया डोल रही आके पार लगा देंदां,
इक बार जे तू श्यामा मैनु अपना बना लैंदा .....
श्रेणी : कृष्ण भजन
🙏🏽इक बार जे तू शामा मैनु अपना बना लैंदा 🙏🏽 बहुत ही खूबसूरत भजन 🌹 जरूर सुने
यह भजन एक भक्त की अपने आराध्य श्याम बाबा (श्रीकृष्ण) के प्रति गहरी करुणा, प्रेम और समर्पण की पुकार है। इसमें एक ऐसा भाव छुपा है जो हर उस इंसान के दिल को छू जाता है जो जीवन की कठिनाइयों में, दुखों में, अपने प्रभु को पुकारता है और कहता है – "अगर तूने एक बार अपना बना लिया होता, तो मैं इस दुनिया की ठोकरों में यूं न भटकती।"
भजन में भावनाओं की तीव्रता देखते ही बनती है – जहाँ भक्त अपने कर्मों की जिम्मेदारी खुद लेता है, और फिर भी भगवान से विनती करता है कि “अगर मैंने पाप भी किए होते, तो भी तू अपनी दया से परदा डाल देता।” शब्दों में आत्मग्लानि भी है, और प्रभु की असीम करुणा पर विश्वास भी।
यह रचना बताती है कि जब दुनिया साथ छोड़ देती है, रिश्तेदार भी दूर हो जाते हैं, तब एकमात्र सहारा वही श्यामा होते हैं। भजन की पंक्तियाँ "अखां विच हंजू ने, बूलां ते नाम तेरा" इस बात की गवाही हैं कि भक्त का अंतिम सहारा, अंतिम विश्वास, केवल अपने ठाकुर जी ही हैं।
भक्ति, भाव, पीड़ा और प्रेम से सराबोर यह भजन न केवल सुनने वाले को भावविभोर कर देता है, बल्कि उसे भी अपने श्याम से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक विनती है, एक पुकार है, और प्रभु से मिलन की अद्भुत चाह है। जरूर सुनें, महसूस करें, और श्रीकृष्ण की शरण में खुद को समर्पित करें। 🌹