श्री बांके बिहारी स्तुति - Shree Banke Bihari Stuti

श्री बांके बिहारी स्तुति



----- श्री बांके बिहारी स्तुति -----

श्याम सलोने बांके बिहारी, महिमा इनकी सबसे न्यारी ।
सर पे इनके मोर मुकुट हैं, हाथो में हैं मुरली प्यारी ।।

मुरली पे जब तान ये छेड़े, भक्त सभी आते हैं दौड़े ।
कुंज गलिन में बैठे बिहारी, दर्शन देते बारी बारी ।।

दर्शन इनके सबसे निराले, बार बार पर्दा ये डाले ।
परदे में छुप छुप के देखो, करते हैं ये खेल निराले ।।

खेल खेल में पूतना मारी, खेल खेल में कुब्जा तारी ।
खेल खेल में कंश को मारा, खेल खेल में सबको तारा ।।

तारण हारे, पालन हारे, हारे हुए के ये हैं सहारे ।
जो भी इनको दिल से पुकारे, उसके बन जाते हैं सहारे ।।

प्रेम भाव से ये हैं रीझते, भक्ति भाव से ये हैं मिलते ।
मीरा जैसा प्रेम करो तो, विष को भी अमृत कर देते ।।

ब्रज की इनको मिट्टी प्यारी, माखन के रसिया ये बिहारी ।
माखन मिश्री भोग लगाओ, प्रेम भाव से इन्हे खिलाओ ।।

हाथ जोड़कर कर लो विनती, मांग लो इनसे सच्ची भक्ति ।
इनकी भक्ति मिल जाये तो, भवसागर से मिलेगी मुक्ति ।।

राधे राधे 🙏🙏

Lyr ics - Jay Prakash Verma, Indore



श्रेणी : कृष्ण भजन



श्री बांके बिहारी स्तुति ।। श्याम सलोने बांके बिहारी ।। #bankebihari #vrindavan #radhe #krishna

यह "श्री बांके बिहारी स्तुति" एक अत्यंत भावपूर्ण और मन को मोह लेने वाली भक्ति रचना है, जिसे जय प्रकाश वर्मा, इंदौर ने अपनी श्रद्धा और प्रेम से रचा है। इस स्तुति में श्री बांके बिहारी जी के सुंदर स्वरूप, उनकी लीलाओं और उनकी महिमा का अत्यंत मधुर शब्दों में वर्णन किया गया है। भजन में बताया गया है कि श्री बिहारी जी के सिर पर मोर मुकुट सुशोभित है और उनके हाथों में प्रिय मुरली है, जिसकी तान सुनते ही भक्त दौड़े चले आते हैं। वृंदावन की कुंज गलियों में बैठे बिहारी जी अपनी अलौकिक झलक से भक्तों को दर्शन देते हैं, कभी पर्दा डालकर तो कभी पर्दा हटाकर अपनी मधुर लीलाओं का आनंद कराते हैं। इस स्तुति में भगवान के बाल स्वरूप से लेकर उनके अद्भुत कारनामों जैसे पूतना वध, कुब्जा उद्धार और कंस वध का भी मनोरम चित्रण किया गया है। श्री बांके बिहारी जी तारणहार और पालनहार हैं, जो सच्चे मन से पुकारने वाले भक्तों के सदा सहायक बनते हैं। भजन में प्रेम और भक्ति का भाव बड़े ही सरल और हृदयस्पर्शी शब्दों में प्रवाहित किया गया है, जो सुनने वाले को सहज ही भगवान के चरणों में लीन कर देता है। जय प्रकाश वर्मा जी की लेखनी से निकली यह स्तुति प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम है, जो हर भक्त के ह्रदय को भावविभोर कर देती है और राधे-श्याम की भक्ति में डूबने का आह्वान करती है।

Harshit Jain

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