श्याम बुलावे रे मान्ने खाटू में
(तर्ज: अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी)
श्याम बुलावे रे मान्ने खाटू में,
होली आई रे खेलां संग में,
लेके गुलाल बाबा खाटू में आऊ,
अपने हाथों से बाबा थारे लगाऊं,
थे भी खेलों रे भगता के संग में,
होली आई रे खेलां संग में,
पिचकारी भरकर राखी गुब्बारा हाथ में,
दुनिया को मालिक देखो अब मेरे साथ में,
थे भी आइ जो रे खाटू धाम में,
होली आई रे खेलां संग में,
चंग मंजीरा बाजे तान सुरीली,
मान्ने श्याम प्यारे की या महफिल मिली,
लकी सुनाई दो रे भाव थे बाबा ने,
होली आई रे खेलां संग में,
Lyri cs - lucky Shukla
श्रेणी : खाटू श्याम भजन

"श्याम बुलावे रे मान्ने खाटू में" एक अत्यंत आनंददायक और हर्षोल्लास से भरा भजन है, जिसे लकी शुक्ला जी ने बड़े प्रेम और भक्ति भाव से रचा है। यह भजन विशेष रूप से होली के पावन अवसर के लिए लिखा गया है, जिसमें खाटू श्याम बाबा के दरबार में होली खेलने का आह्वान किया गया है।
भजन की शुरुआत में ही श्याम बाबा के बुलावे का उल्लास स्पष्ट झलकता है। भक्त मन में उमंग लिए, गुलाल और पिचकारी लेकर खाटू धाम पहुँचने की कल्पना करता है। वह चाहता है कि अपने हाथों से बाबा को रंग लगाकर, उनके संग होली का त्योहार मनाए।
भजन में पिचकारी, गुब्बारे और रंगों की बात करते हुए भक्त श्याम बाबा के साथ पूरे संसार को रंगने की इच्छा प्रकट करता है। चंग और मंजीरे की मधुर धुनों के बीच, भक्त को ऐसा लगता है जैसे सारा खाटू धाम एक अनुपम महफिल में बदल गया है, जहाँ श्याम प्यारे के संग संग सभी भक्त आनंद में झूम रहे हैं।
"श्याम बुलावे रे मान्ने खाटू में" भजन में सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि रंग, संगीत, उमंग और भक्ति की झलक मिलती है। लकी शुक्ला जी ने इसे जिस तरह से लिखा है, वह हर भक्त के दिल को छूता है और उसे मन, वचन और कर्म से श्याम बाबा के रंग में सराबोर कर देता है।