तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे,
भावो में असर होगा घर बैठे बुला लेंगे,
तुम केहते हो बाबा मुझे कहा बिठाओ गे,
मन मन्दिर में तेरी तस्वीर बसा लेंगे,
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे,
तुम केहते हो बाबा मुझे क्या चडाओ गे,
बाबा भगती का तुझको हम हार चड़ा देंगे,
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे,
तू केहते हो बाबा मुझे कहा सुलाओ गे,
फूलो से तेरी बाबा हम सेहज सजा देंगे,
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे,
श्रेणी : शिव भजन
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यह भजन भगवान शिव के प्रति एक भक्त की प्रेमभरी विनती को दर्शाता है, जहाँ भक्त भोलेनाथ को मनाने का संकल्प करता है। यह भजन भावनाओं से भरा हुआ है और भक्ति की गहराई को प्रकट करता है।
भजन में भक्त कहता है कि अगर बाबा (भगवान शिव) रूठ भी जाएँ, तो भी वह उन्हें मना लेगा, क्योंकि भक्ति में इतनी शक्ति होती है कि वह भगवान को अपने समीप बुला सकती है। शिव से प्रेम करने वाले भक्तों के लिए यह भजन उनके अटूट विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।
भजन में शिव और भक्त के मधुर संवाद की झलक भी मिलती है। जब शिव पूछते हैं कि उन्हें कहाँ बैठाओगे, तो भक्त कहता है कि वह अपने मन-मंदिर में उनकी तस्वीर को बसा लेगा। जब शिव पूछते हैं कि उन्हें क्या चढ़ाओगे, तो भक्त कहता है कि वह अपनी भक्ति की माला चढ़ाएगा, क्योंकि सच्ची भक्ति ही भगवान को सबसे प्रिय होती है।
शिव अगर पूछते हैं कि उन्हें कहाँ सुलाओगे, तो भक्त प्रेमपूर्वक उत्तर देता है कि वह फूलों की सेज सजा देगा, जिससे बाबा को पूर्ण विश्राम मिल सके। यह भजन न केवल भक्ति की भावना को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भगवान भाव के भूखे होते हैं और प्रेमपूर्वक की गई भक्ति उन्हें सहज ही प्रसन्न कर सकती है।
यह भजन शिव भक्तों के मन में श्रद्धा और प्रेम की भावना को और प्रबल करता है और उन्हें बाबा भोलेनाथ के साथ आत्मीयता से जोड़ता है।