आंधी चली तूफान चले बाबा मेरे साथ
तर्ज - मस्त जवानी तेरी मुझको पागल कर गई रे
आंधी चली तूफान चले बाबा मेरे साथ,
जब ये साथ है तो डरने की क्या बात,
तूफानों से लड़ना हमने सीख लिया है,
जिंदगी में हमने जीना सीख लिया है,
सवेरा फिर से होगा चाहे जितनी काली रात,
जब ये साथ है तो डरने की क्या बात,
राहे भरे कांटों में मैं नाम ये लेता,
लाल तेरे संग में हु एहसास ये देता,
कुछ भी नहीं छपे बाबा तुमसे ये हालत,
जब ये साथ है तो डरने की क्या बात,
हर पल बाबा तूने मुझे काम दिया है,
हाथ को मेरे बाबा श्याम ने थाम लिया है,
हमको तेरा प्यार मिले लक्की अरदास,
जब ये साथ है तो डरने की क्या बात,
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : खाटू श्याम भजन

यह भजन "आंधी चली तूफान चले बाबा मेरे साथ" खाटू श्याम जी के प्रति गहरी श्रद्धा और अटूट विश्वास का सुंदर उदाहरण है। लकी शुक्ला ने इस भजन के माध्यम से यह संदेश बड़े सहज और भावपूर्ण अंदाज में प्रस्तुत किया है कि चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें और तूफान क्यों न आएं, जब बाबा का साथ हो तो डरने की कोई बात नहीं होती।
भजन की हर पंक्ति में बाबा के साथ चलने की शक्ति और साहस झलकता है, जो भक्त के मन को हर परिस्थिति में मजबूत बनाए रखता है। "जब ये साथ है तो डरने की क्या बात" यह मुखड़ा बार-बार दोहराकर भजन में एक उत्साह और उम्मीद की भावना जगाई गई है, जो सुनने वालों के मन में विश्वास की लौ जलाता है।
लकी शुक्ला ने बहुत ही सरल और दिल से जुड़ी भाषा में भक्ति के उस भाव को बखूबी व्यक्त किया है, जहां बाबा की ममता और संरक्षण से जीवन की कठिनाइयों को पार करना संभव होता है। यह भजन भक्तों को आश्वासन देता है कि बाबा श्याम हर कदम पर उनके साथ हैं और उनके प्यार की छाया में हर अंधेरा खत्म हो जाएगा।