बड़ी दूर से चलकर आया हूं
बड़ी दूर से चल कर आया हु,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए,
एक फूल गुलाब का लाया हु चरणों में तेरे अर्पण के लिए,
नरोली मोली चावल है न धन दौलत की थैली है,
दो आंसू बचा कर लाया हु पूजा तेरी करने के लिये,
बड़ी दूर से चल कर आया हु....
ना रंग महल की अभिलाषा ना ईशा सोने चाँदी की,
तेरी दया की दौलत काफी है झोली मेरी भरने के लिये,
बड़ी दूर से चल कर आया हु.....
मेरे बाबा मेरी ईशा नहीं अब यहाँ से वापिस जाने की,
चरणों में जगह दे दो थोड़ी मुझे जीवन भर रहने के लिये,
बड़ी दूर से चल कर आया हु...
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
New shyam bhajan बड़ी दूर से चल कर आया हूँ मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिएKhatu shyam bhajan
यह भजन "बड़ी दूर से चलकर आया हूँ" एक अत्यंत भावनात्मक और आत्मा को स्पर्श करने वाली रचना है, जो श्याम बाबा के प्रति गहरे समर्पण और प्रेम को दर्शाती है। यह भजन भक्त के उस भाव को उजागर करता है जो दूर-दूर से थक कर, लेकिन पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ बाबा श्याम के दर्शन हेतु खाटू धाम आता है।
भजन में शब्दों के माध्यम से भक्त की वह स्थिति दर्शाई गई है जिसमें उसके पास न धन है, न महंगे फूल, न चढ़ावे की थैली, लेकिन उसका हृदय सच्ची भक्ति से भरा हुआ है। वह गुलाब का एक फूल और दो आँसू लेकर बाबा श्याम के चरणों में अर्पित करने आया है। यही दो आँसू उसकी पूजा हैं, यही उसका चढ़ावा है।
यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि सच्चे भक्ति भाव का प्रतीक है। इसमें भक्त कहता है कि उसे न महल की इच्छा है, न सोने-चांदी की लालसा, बस बाबा श्याम की दया ही उसके जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। यह भाव उसकी विनम्रता, आत्मसमर्पण और भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
अंत में, भजन की सबसे मार्मिक पंक्ति आती है, जहाँ भक्त बाबा से निवेदन करता है कि अब वह वापस नहीं जाना चाहता, उसे जीवनभर के लिए उनके चरणों में थोड़ी-सी जगह मिल जाए। यह प्रेम, समर्पण और भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप है।