चुन्नी अम्बरा तो उत्तर के आई
शेरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
मेहरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई,
मेरी, मां नूं, पसन्द किवें आई,
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
किस ने, रंगी मइया, किस ने रंगाई ए,
केहड़े, शहर तों, बन के आई,
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
शेरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई...
ललारियां ने, रंगी चुन्नी, भगतां रंगाई ए,
जम्मू, शहर तों, बन के आई,
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
शेरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई...
धन, धन चुन्निए, तेरी तक़दीर नूं,
तेरी तक़दीर नूं, तेरे नसीब नूं,
जिहड़ी, मां दे, सिर ते ओढ़ाई,
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
शेरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई...
सूरज दा, रंग सूहा, चुन्नी उत्ते चढ़िया,
अंबरां, ते तारियां नूं, रीज़ां नाल जड़िया।
चुन्नी, अंबरां तों, उतर के आई,
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
शेरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई...
विष्णु, ब्रह्मा जी ते, शिव जी महेश ए,
दुर्गा, ने चुन्नी विच, कीता प्रवेश ए।
फिर, मइया जी दे, गल विच पाई,
चुन्नी, गूहड़े लाल रंग दी।
शेरां, वाली नूं, पसन्द किवें आई...
श्रेणी : दुर्गा भजन
#नवरात्रि#भेंट 🔔🚩चुन्नी अम्बरा तो उत्तर के आई चुन्नी गूढ़े लाल रंग दी @RSBhajanMandali
"चुन्नी अम्बरा तो उत्तर के आई" एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण भजन है, जिसमें देवी माँ की महिमा और उनके प्रति अटूट श्रद्धा व्यक्त की गई है। यह भजन विशेष रूप से शेरां वाली (माँ दुर्गा) को समर्पित है, और यह वर्णन करता है कि कैसे माँ के सिर पर चढ़ी लाल रंग की चुन्नी की सुंदरता और उसकी महिमा भक्तों के दिलों में गहरी जगह बनाती है।
भजन की शुरुआत में चुन्नी के लाल रंग का ज़िक्र किया गया है, जो माँ की दिव्यता और शक्ति का प्रतीक है। यह रंग उनके भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है, और यह भक्ति का प्रतीक बन जाता है। भजन में यह भी वर्णित है कि यह चुन्नी किस प्रकार विभिन्न स्थानों से आई, और कैसे माँ दुर्गा की कृपा से इसे पूरे विश्व में प्रतिष्ठित किया गया।
भजन में चुन्नी के लाल रंग के साथ-साथ, सूरज और आकाश के तारों का भी ज़िक्र है, जो इसके दिव्य स्वरूप को और भी उजागर करते हैं। यह चुन्नी ना केवल एक वस्त्र है, बल्कि देवी माँ की शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक है, जो उनके भक्तों के जीवन में आशीर्वाद और सुख का संचार करती है।
"चुन्नी अम्बरा तो उत्तर के आई" भजन के अंतिम भाग में, देवी माँ के विभिन्न रूपों और देवताओं के साथ उनके संबंध को दर्शाया गया है, जैसे कि विष्णु, ब्रह्मा, और शिव, जो माँ दुर्गा की शक्ति को स्वीकारते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
यह भजन न केवल भक्तों को देवी माँ की महिमा का अनुभव कराता है, बल्कि यह उनके दिलों में गहरी श्रद्धा और भक्ति का संचार भी करता है।