दाता किरपा कीजिये data kirpa kijiye
दाता किरपा कीजिये...
अपना बना लो, दर पे बुलालो, एक आसरा दीजिये
हो... दाता किरपा कीजिये....
दिल तो ये चाहे, हर पल तेरी बस यूँ ही सेवा करें,
सेवा ना जानूँ, पूजा ना जानूँ, बस तुम्हें चाहा करें,
तुमसे ये विनती, ये ही तमन्ना हाँ बस यही सांवरे...
दाता किरपा कीजिये...
सुनलो ना दाता उंगली पकड़ लो, खो ना जाऊं संसार में,
और कुछ ना सूझे, तेरे सिवा मुझे, बस रहूं तेरे प्यार में,
तूँ ही सहारा, तू ही किनारा, माझी मेरे सांवरे...
दाता किरपा कीजिये...
साँझ सवेरे, होठों पे मेरे, बस तेरा एक नाम हो,
जब तक है साँसे, तन मन में मेरे, बाबा तेरा ही साथ हो
दास, रवि की अर्जी है इतनी, चलता रहे काम रे...
दाता किरपा कीजिये...
गायक - विकास झा 7980672853 कोलकाता
लेखक - रवि सराफ
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
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यह भजन "दाता किरपा कीजिये" एक भावपूर्ण प्रार्थना है जिसमें भक्त अपने प्रभु से दया और करुणा की प्रार्थना करता है। विकास झा द्वारा गाया गया यह भजन सरल शब्दों में परमात्मा की कृपा का अनुरोध करता है और पूरी निष्ठा के साथ उनकी सेवा में समर्पित होने की इच्छा दर्शाता है।
भजन की शुरुआत में ही भक्त भगवान से अपने आप को अपना बनाने, दरबार में बुलाने और एक आश्रय देने की विनती करता है। यह दर्शाता है कि चाहे सेवा या पूजा के नियम समझ न आएं, पर भक्त का दिल पूरी तरह से भगवान की भक्ति में लगा हुआ है।
"सुनलो ना दाता उंगली पकड़ लो" जैसी पंक्तियाँ भक्त की निर्भरता और विश्वास को उजागर करती हैं, कि वह इस संसार की उलझनों से बचा कर केवल प्रभु के प्रेम में जीवन बिताना चाहता है।
साँझ-सवेरे भगवान का नाम लेने की इच्छा, और जीवन के हर पल में उनका साथ पाने की अरदास, इस भजन को एक सच्चे भक्त की विनम्र और अटूट श्रद्धा से भरपूर बनाती है।
संक्षेप में, "दाता किरपा कीजिये" भजन भक्त की मनोस्थिति को सरलता से प्रकट करता है — एक ऐसा हृदय जो केवल प्रभु की कृपा और संरक्षण की आशा करता है। यह भजन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में भगवान की दया और मार्गदर्शन की तलाश में है।