एहसान बहुत बाबा तेरे
एहसान बहुत बाबा तेरे,
मैं भूलू ना मरते दम तक,
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी है,
मुझे तेरी शरण में रहने दो,
एहसान तेरा होगा मुझ पर ||
तुमने मुझको हसना सिखाया -२
रोने कहोगे रो लेंगे अब -२
आँसू का हमारे गम ना करो,
वो बहते है तो बहने दो |||
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी है,
मुझे तेरी शरण में रहने दो,
एहसान बहुत बाबा तेरे ॥
चाहे निभा लो चाहे मिटा दो -२
मर भी गये तो क्या होगा -२
उड़ उड़ के कहेगी खाक मेरी
ये दर्द ए मोहब्बत करने दो |
प्रीतम तेरा गुण गा रहा
उसे अपनी शरण से ना दूर करो ॥
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी है
मुझे तेरी शरण में रहने दो ॥
एहसान बहुत बाबा तेरे
मैं भूलू ना मरते दम तक
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी है
मुझे तेरी शरण में रहने दो
एहसान तेरा होगा मुझ पर ||
श्रेणी : खाटू श्याम भजन

"एहसान बहुत बाबा तेरे" एक अत्यंत भावनात्मक और आत्मा को छू जाने वाला खाटू श्याम भजन है, जो श्याम भक्त के हृदय से निकली हुई सच्ची पुकार और गहरी श्रद्धा को दर्शाता है। यह भजन न केवल भक्ति से भरा है, बल्कि इसमें प्यार, समर्पण और कृतज्ञता की अनूठी झलक मिलती है।
इस भजन की हर पंक्ति में एक ऐसा भाव छुपा है, जो भक्त और भगवान के गहरे रिश्ते को व्यक्त करता है। "एहसान बहुत बाबा तेरे, मैं भूलूं ना मरते दम तक", यह सिर्फ एक पंक्ति नहीं है, यह उस जीवन यात्रा की गवाही है जहाँ भक्त को बार-बार अनुभव होता है कि श्याम बाबा ने उसकी ज़िंदगी में करुणा और कृपा की वर्षा की है।
भजन आगे बढ़ते हुए बताता है कि बाबा ने केवल जीवन में मुस्कुराना ही नहीं सिखाया, बल्कि यह भी सिखाया कि जब दर्द मिले, तब आँसुओं को भी श्रद्धा से बहने देना है। “रोने कहोगे रो लेंगे अब, आँसू का हमारे ग़म न करो” — यह वह भक्ति का स्तर है जहाँ भक्त अपने दुःख को भी बाबा की इच्छा मानकर स्वीकार करता है।
भजन का तीसरा अंतरा उस प्रेम की चरम सीमा को दर्शाता है जहाँ भक्त कहता है — “चाहे निभा लो चाहे मिटा दो”, यानि वो अब बाबा की मरज़ी के आगे खुद को पूर्णतः समर्पित कर चुका है। यहाँ मोहब्बत भक्ति में बदल जाती है, और आत्मा बाबा की शरण को ही अपनी अंतिम मंज़िल मानती है।
“प्रीतम तेरा गुण गा रहा, उसे अपनी शरण से ना दूर करो” — यह विनती हर उस भक्त की है जिसने खाटू श्याम से प्रेम किया है और अब उनके चरणों के अलावा उसे कोई और सहारा नहीं चाहिए।
इस भजन में शब्द भले सरल हैं, लेकिन भावनाएँ अत्यंत गूढ़ और सजीव हैं। यह गीत उन लाखों भक्तों की ओर से एक सामूहिक स्वीकृति है कि उन्होंने श्याम बाबा की कृपा को अपने जीवन में अनुभव किया है और अब उनके बिना कोई और आशा, कोई और सहारा नहीं।
"एहसान बहुत बाबा तेरे" एक ऐसा भजन है जो सुनने वाले की आँखों में आँसू और मन में बाबा के चरणों के प्रति अगाध प्रेम भर देता है। यह सिर्फ एक गीत नहीं — यह एक आध्यात्मिक संवाद है, भक्त और भगवान के बीच का एक पवित्र रिश्ता।