जय काल काल महाकाल
बबम बम काल काल महाकाल,
जय काल काल महाकाल काल,
तेरी किरपा हो गई जिसपर,
तेरी किरपा हो गई जिसपर,
बने बिगड़े उसके हाल हाल,
बबम बम काल काल महाकाल,
जय काल काल महाकाल काल.....
तेरी जटा में गँगा नाचे है,
माथे पर चंदा साजे है....
तेरी जटा में गँगा नाचे है,
माथे पर चंदा साजे है ||
एक हाथ बजे है डमरू,
तेरे गल नागो की माल माल....
बबम बम काल काल महाकाल,
जय काल काल महाकाल काल,
नहीं तुझसा कोई सानी रे
मेरे महादेव महादानी रे....
नहीं तुझसा कोई सानी रे
मेरे महादेव महादानी रे ||
गाए सृष्टि तेरी कहानी रे
दिए संकट सबके टाल टाल....
बबम बम काल काल महाकाल
जय काल काल महाकाल काल
शमशान में डेरा लगाया है
तेरी समझा न कोई भी माया है...
शमशान में डेरा लगाया है
तेरी समझा न कोई भी माया है ||
गुणगान हंस ने गाया है
गुणगान हंस ने गाया है
काटो जन्म मरण के जाल जाल
बबम बम काल काल महाकाल
जय काल काल महाकाल काल
बोलो ॐ नमः शिवाय
बोलो जय शंकर रुद्राय बोलो भोले भंडारी की जय बोलो शम्भू त्रिपुरारी की जय देव आदि देव महादेव की जय
जय जय भोले नाथ,जय जय भोले नाथ, जय जय जय भोले नाथ, जय जय जय भोले नाथ
जयकारा भोले भंडारी का बोल साचे दरबार की जय
गायक : लक्की हंस
लेखक : लक्की हंस
संगीत : डी.ऍन. मिश्रा
श्रेणी : शिव भजन
JAI KAAL KAAL MAHAKAL || NEW SHIV BHAJAN || KAWAD BHAJAN || SHIVRATRI BHAJAN || LUCKY HANS 2021
"जय काल काल महाकाल" एक शक्तिशाली और ऊर्जा से भरपूर शिव भजन है, जो भगवान महाकाल के भयंकर और करुणामयी दोनों स्वरूपों को भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत करता है। यह भजन न केवल भगवान शिव के अद्भुत स्वरूप की वंदना करता है, बल्कि भक्तों के मन में भक्ति, श्रद्धा और आस्था की ज्वाला भी प्रज्वलित करता है।
इस भजन में महाकाल की महिमा, उनकी जटा में बहती गंगा, माथे पर सुशोभित चंद्रमा, गले में नागों की माला और डमरू की ध्वनि का अत्यंत जीवंत चित्रण किया गया है। "तेरी जटा में गँगा नाचे है, माथे पर चंदा साजे है" जैसी पंक्तियाँ श्रोताओं को सीधे कैलाश पर्वत की दिव्य अनुभूति कराती हैं।
भजन का सबसे प्रभावशाली संदेश यह है कि जिन पर महाकाल की कृपा हो जाती है, उनके जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं — "तेरी किरपा हो गई जिसपर, बने बिगड़े उसके हाल हाल" — यह पंक्ति हर शिव भक्त के दिल को छू जाती है।
इस रचना में यह भी बताया गया है कि शिव केवल देवता नहीं, बल्कि समाधि और सन्यास के स्वामी हैं — "शमशान में डेरा लगाया है, तेरी समझा न कोई भी माया है" — यह उनकी वैराग्य और तटस्थता को दर्शाता है, जिससे संसार के सभी बंधन कट जाते हैं।
इस भजन को गाया है लक्की हंस ने, जिन्होंने अपनी आवाज़ में ऐसी ऊर्जा और भक्ति डाली है कि यह कांवड़ यात्रा, शिवरात्रि और भोले बाबा के हर त्यौहार में भक्तों को झूमने पर मजबूर कर देता है। इसके लेखक भी लक्की हंस हैं, और संगीत संयोजन डी.एन. मिश्रा ने किया है, जो इस भजन को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।
"जय काल काल महाकाल" केवल एक भजन नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का माध्यम है, जो महाकाल के चरणों में पूर्ण समर्पण की अनुभूति कराता है। यह भजन शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से तब असर करता है जब मन में उदासी हो या जीवन में कोई संकट हो — क्योंकि यही तो महाकाल हैं, जो काल के भी काल हैं।