असी दर दे भिखारी हां, asi dar de bhikhari haa maaye ni hat joad khde

असी दर दे भिखारी हां



असी दर दे भिखारी हां,माए नी हथ जोड़ खड़े,
सानु मिल जाए चरणा च थां, माए नी हथ जोड़ खड़े,
असी दर दे भिखारी...
तेरे मन्दिरा दे विच विच मां, सुहानी तेरी ज्योत जगे-2,
तेरी शेर दी सवारी मेरी मां, भवानी सानु प्यारी लगे-2,
लै के चरणा ते फुल कलियां, माएनी हथ जोड़ खड़े,
असी दर दे भिखारी...
सानु मिल जाए ....

साडे नैना दे विच विच मां, तू दस कानू हंजू भरे-2
तेनु मिलने दा दिल विच चा, तू रहनी ऐ परे परे-2
सानु फड़के विठा लै मेरी मां, माएनी हथ जोड़ खड़े-2
असी दर दे भिखारी...
सानु मिल जाए ....

ओनु गल नल लानी ऐ मां, के जिनु अपनाए कोई ना-2
ओनु पास बुलां नी ए मां , के जिस नु बुलाए कोई ना
सानु दर दर मिलदी ऐ ना, माए नी हथ जोड़ खड़े
असी दर दे भिखारी...
सानु मिल जाए ....

सानु दरश दिखा दे नी मां, के दस तेरा की जाएगा-2
साडे दिल दे दुःख तकके, तेनु वी कदे प्यार आएगा-2
साडी कष्ट| दे विच रहे जां, माए नी हथ जोड़ खड़े-2
असी दर दे भिखारी...
सानु मिल जाए ....

असी मंगते हांऔकात की मां, न अड़िया च अड़
अड़िए-2
पुत होन कपूत जे मां , ते चित मैला न करिए-2
जग बदले न मुंह फेरी मां, माएनी हथ जोड़ खड़े
असी दर दे भिखारी हां.......
सानु मिल जाए चरणा च थां, माएनी हथ जोड़ खड़े
माएनी हथ जोड़ खड़े-2



श्रेणी : दुर्गा भजन



🙏असी दर दे भिखारी हां🙏 जय मां अम्बा जी🌺🙏🌺

"असी दर दे भिखारी हां" एक अत्यंत भावुक और श्रद्धा से परिपूर्ण दुर्गा भजन है, जो एक सच्चे भक्त की करुण पुकार को माँ अम्बा के चरणों में समर्पित करता है। इस भजन में भक्त माँ के दरबार को अपना अंतिम सहारा मानते हुए, हाथ जोड़कर विनती करता है कि उसे माँ के चरणों में बस एक स्थान मिल जाए — यही उसकी सबसे बड़ी इच्छा है।

भजन की हर पंक्ति एक अंतरात्मा की पुकार है, जिसमें भक्त माँ से कहता है कि हम तेरे दर के भिखारी हैं — हमारी कोई औकात नहीं, कोई अधिकार नहीं, पर फिर भी तेरे दर पर खड़े हैं केवल तेरा प्यार पाने को। "सानु मिल जाए चरणा च थां" जैसी पंक्ति भावनाओं से भरी हुई है, जो माँ के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाती है।

इस रचना में माँ की शक्ति, दया, और ममता को बड़ी ही सुंदरता से दर्शाया गया है। माँ की शेरों वाली सवारी, सुहानी ज्योत, और हर दुःख में साथ देने वाला रूप इसे न केवल एक भजन बनाते हैं, बल्कि एक ऐसी आत्मिक यात्रा का माध्यम बनाते हैं जिससे श्रोता स्वयं को जोड़ पाता है।

भजन में यह भी बताया गया है कि माँ उन लोगों को भी अपना लेती हैं जिन्हें दुनिया ने ठुकरा दिया हो। "ओनु पास बुला नी ऐ मां, के जिस नु बुलाए कोई ना" — यह पंक्ति माँ की असीम करुणा का प्रतीक है।

यह भजन माँ की गोद में आश्रय पाने की प्रार्थना है, एक ऐसी पुकार जिसमें कोई दिखावा नहीं, केवल दिल से निकली सच्ची पुकार है।

Harshit Jain

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