लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो, laara lappa roj hi lgaaya naa kro

लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो



लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो,
भगतो को इतना सताया न करो,
आस ले के दूर से जो आते है यहा-2
खाली उन्हें द्वार से लौटाया ना करो,
लारा लप्पा रोज ही.......
भगतो को इतना......

दिन गिन गिन कई साल गुजरे-2
तेरी मेरी राते तेरे नाल गुजरे,
होंसलो ने दम तोड़ा कई बार मां,
लेकिन तेरी दया का ना खुला द्वार मां,
रस्तो मे हमें यूं घुमाया ना करो-2
भगतो को इतना सताया न करो,
लारा लप्पा रोज ही लगाया....
भगतो को इतना....
लारा लप्पा रोज ही.......

क्या है फरियाद कभी सुनो तो सही,
कहने जे आए सदा मन में रही,
कुछ तो हमारा बोझ कम करो मां,
थोड़ी सी नजरे कर्म करो मां,
दुःखी मन और भी दुखाया न करो-2
भगतो को इतना....
लारा लप्पा रोज ही......

हम थे तेरी अखियो के तारे अम्बिके,
हमें छोड़ा किसके सहारे अम्बिके,
आंखे तो सवालियो की बरसती रही,
झोलिया मुरादो को तरसती रही,
बार- बार हमको रुलाया न करो,
भगतो को इतना....
लारा लप्पा रोज ही.......

आस लेके दूर से जे आते है यहां,
खाली उन्हें द्वार से लोटाया न करो,
लारा लप्पा रोज ही....
लारा लप्पा रोज ही......



श्रेणी : दुर्गा भजन



🌺लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो🌺 इस मन मोहक भजन को कृपा एक बार जरूर सुने🙏

लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो" एक अत्यंत भावुक और दिल को छू जाने वाला दुर्गा भजन है, जिसमें एक भक्त का दर्द, उसकी फरियाद और माँ के प्रति उसकी अटूट आस्था को बेहद मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह भजन माँ अम्बिका से सीधे संवाद करता है, जहाँ भक्त अपनी व्यथा सुनाते हुए माँ से विनती करता है कि उनकी परीक्षा न ली जाए, उनकी फरियाद को अनसुना न किया जाए।

इस भजन में भक्त माँ से कहता है कि – "लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो", यानी हर बार बहलाया ना करो, केवल आशा का दामन पकड़ा कर उन्हें खाली हाथ मत लौटाया करो। दूर-दराज से लोग उम्मीद लेकर माँ के दरबार में आते हैं, लेकिन जब वो निराश लौटते हैं, तो उनकी आत्मा टूट जाती है।

भजन की पंक्तियाँ जैसे – "दिन गिन गिन कई साल गुजरे" और "होंसलों ने दम तोड़ा कई बार माँ" – दिल की गहराई से निकली प्रतीत होती हैं। यह केवल भजन नहीं, बल्कि भक्त की पुकार है, जिसमें वर्षों से झोली खाली लेकर आने वाले भक्त अपने टूटे हुए मन को लेकर माँ से करुणा की अपेक्षा रखते हैं।

यह भजन भावनात्मक रूप से इतना प्रबल है कि हर श्रोता को अपनी ही व्यथा का हिस्सा लगने लगता है। माँ अम्बिका से यह कहना कि “हम थे तेरी अखियों के तारे अम्बिके, हमें छोड़ा किसके सहारे अम्बिके” – यह दर्शाता है कि भक्तों का माँ पर कितना भरोसा है और जब वही भरोसा बार-बार टूटता है, तो पीड़ा कितनी गहरी होती है।

"लारा लप्पा रोज ही लगाया ना करो" एक ऐसा भजन है जो हर उस भक्त की भावना को आवाज़ देता है जिसने कभी किसी मुराद के लिए माँ के दर पर दस्तक दी है। यह भजन माँ के प्रति आत्मीय प्रेम, पीड़ा और प्रार्थना का अद्भुत संगम है, जिसे हर भक्त को एक बार अवश्य सुनना चाहिए।

Harshit Jain

आपका स्वागत है "Yt Krishna Bhakti" में, जहां आपको भगवान से जुड़ी जानकारी, मधुर भजन, इतिहास और मंत्रों का अद्भुत संग्रह मिलेगा। मेरा नाम "Harshit Jain" है, और इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको भगवान के भजन, उनके इतिहास, और उनके मंत्रों के बोल उपलब्ध कराना है। यहां आप अपने पसंदीदा भजनों और गायक के अनुसार भजन खोज सकते हैं, और हर प्रकार की धार्मिक सामग्री प्राप्त कर सकते हैं। आओ, इस भक्ति यात्रा में हमारे साथ जुड़े और भगवान के नाम का जाप करें।

🎯 टिप्पणी दें

आपको भजन कैसा लगा हमे कॉमेंट करे। और आप अपने भजनों को हम तक भी भेज सकते है। 🚩 जय श्री राम 🚩

Previous Post Next Post
×