नमन है आपको प्रभुजी मेरी बाधा को हर लेना
प्रार्थना : मेरी बाधा को हर लेना ।
नमन है आपको प्रभु जी,
मेरी बाधा को हर लेना ।
न ज्ञानी हूँ न ध्यानी हूँ,
मेरे अज्ञान हर लेना ।।
हमारे पाप को हरलो,
प्रभु संताप को हरलो ।
हमारे दंभ को हरलो,
मुझे अपना बना लेना ।। नमन है....
सदा सेवा करूँ तन से,
करूँ भक्ती सदा मन से ।
करूँ मैं प्रेम सब जन से,
यही वरदान दे देना ।। नमन है....
कभी अनुचित नहीं बोलूँ,
सदा रस प्रेम का घोलूँ ।
सभी के गम को मैं हरलूँ,
कान्त को ज्ञान यह देना ।। नमन है....
भजन रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज
श्रेणी : कृष्ण भजन
प्रार्थना : मेरी बाधा को हर लेना/रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज/स्वर : आलोक जी ।
यह भजन “नमन है आपको प्रभुजी, मेरी बाधा को हर लेना” एक सादगी और श्रद्धा से भरी प्रार्थना है, जो सीधे भक्त के मन की भावनाओं को प्रकट करता है। इसमें भक्त अपने प्रभु के समक्ष पूरी विनम्रता और आत्मसमर्पण के साथ अपनी सभी कमजोरियों, अज्ञानता, पाप और बाधाओं को दूर करने की याचना करता है।
भजन की पंक्तियाँ सरल और मार्मिक हैं, जैसे — “न ज्ञानी हूँ न ध्यानी हूँ, मेरे अज्ञान हर लेना,” और “हमारे पाप को हरलो, प्रभु संताप को हरलो,” जो मनुष्य के आत्मविश्लेषण और सुधार की भावना को दर्शाती हैं। यह भजन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपनी गलतियों और कमियों को स्वीकार कर आध्यात्मिक उन्नति चाहता है।
भक्त यहां न केवल अपनी बाधाओं से मुक्ति चाहता है, बल्कि सभी के प्रति प्रेम, सेवा और सच्चाई की कामना करता है — “सदा सेवा करूँ तन से, करूँ भक्ती सदा मन से,” और “कभी अनुचित नहीं बोलूँ, सदा रस प्रेम का घोलूँ।” यह भजन मानव जीवन में सकारात्मकता, प्रेम और ज्ञान के महत्व को भी दर्शाता है।
रचना दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज की है, जो भक्ति की गहन समझ और भक्त के भावों को सहज शब्दों में अभिव्यक्त करती है। यह भजन मन को शांति और श्रद्धा से भर देता है, और प्रभु की भक्ति में डूबने के लिए प्रोत्साहित करता है।
कुल मिलाकर, यह भजन आत्मा की शुद्धि, बाधाओं से मुक्ति और प्रेम भरे जीवन की प्रार्थना का सुन्दर माध्यम है, जो भक्त को आध्यात्मिक जागरूकता की ओर अग्रसर करता है।