म्हानै सूरजगढ़ को निशान
म्हानै सूरजगढ़ को निशान भाया प्यारो लागे रे,
म्हानै सूरजगढ़ को,
शीर्ष पे थारे मोरपंख रे मोरपंख पे कमर बन्धा,
बिजणी भारे छम छम नाचे रुतबो न्यारो रे,
प्यारो लागे रे,
सूरज चाँद सितारे चमंक गऊ माता भी दुध देरी,
बीच मे लीले घोड़े पे श्याम हमारो रे,,
प्यारो लागे रे,
डोरी पकड़ले दीनू इन्दोरिया रामेश्वर भंगत कहयो रे,
जे डोरी तू नाही छोड़ी तो श्याम तिहारो रे,
प्यारो लागे रे
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Shyam ki dunia diwani (surajgarh ka nishan)
यह भजन “म्हानै सूरजगढ़ को निशान” राजस्थान की लोक संस्कृति और भक्ति भावना का सुंदर उदाहरण है। इसमें सूरजगढ़ का अपने भक्त के दिल में खास स्थान और प्रेम का बखान किया गया है। भजन की भाषा और छन्दों में उस क्षेत्र की पारंपरिक छवि और भक्तिभाव झलकता है, जो श्याम भक्तों के लिए बहुत प्रिय है।
इस भजन में सूरजगढ़ की पहचान को एक प्यारे निशान के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसे सुनते ही दिल को आनंद और स्नेह की अनुभूति होती है। मोरपंख और कमरबन्ध का उल्लेख भजन को और भी रंगीन और जीवंत बनाता है, जो उस पारंपरिक सांस्कृतिक परिवेश की याद दिलाता है जहां लोक नृत्य-गीत और त्योहारों का आनंद मनाया जाता है।
सूरज, चाँद, सितारे, और गाय माता जैसे प्राकृतिक और धार्मिक तत्व भजन को और भी आध्यात्मिक बनाते हैं, साथ ही श्याम भक्त के मन में उनके प्रति गहरा प्रेम और भक्ति की भावना जगाते हैं। “लीले घोड़े पे श्याम हमारो” की पंक्ति में भगवान श्याम के प्रति समर्पण और आस्था का भाव प्रकट होता है।
डोरी पकड़ले दीनू इन्दोरिया और रामेश्वर भंगत द्वारा कहा गया यह भजन, श्याम जी की शरण में समर्पण और उनकी दया की अपील है, जिसमें यह विश्वास जताया गया है कि यदि भक्त डोरी (संकट या राह) नहीं छोड़ता तो भगवान श्याम उसका सदा साथ देंगे।
संक्षेप में, यह भजन सूरजगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक छवि को खूबसूरती से दर्शाता है, जो भक्त के हृदय में गहरी श्रद्धा और प्यार जगाता है। यह खाटू श्याम के प्रति अटूट विश्वास और प्रेम की अभिव्यक्ति है, जो श्रोताओं को मन से जोड़ती है।