दुनिया का बनकर देख लियाअब श्याम का बनकर देख जरा
दुनिया का बनकर देख लिया,
अब श्याम का बनकर देख जरा,
ना भटकेगा तू राह कभी,
इस राह पे चलकर देख जरा,
दुनिया का बनकर देख लिया,
अब श्याम का बनकर देख जरा,
रिश्तो ने दिया धोखा,
अपनों ने दुखाया दिल,
चल भूल जा सब बातें,
तू श्याम से आकर मिल,
मेरा श्याम तुझे अपनाएगा,
तू राधा कहकर देख जरा,
दुनिया का बनकर देख लिया,
अब श्याम का बनकर देख जरा,
जिसने भी जपा राधा,
उसकी तो हटी बाधा,
उसको मिल गया श्याम,
उसको मिली राधा,
मेरा श्याम तुझे मिल जाएगा,
तू उसका बनकर देख जरा,
दुनिया का बनकर देख लिया,
अब श्याम का बनकर देख जरा,
मीरा को मिले मोहन,
सबरी को मिले हैं राम,
इन दोनों भक्तों का,
जग में अमर हैं नाम,
तेरा नाम अमर हो जाएगा,
तू भक्ति कर के देख जरा,
दुनिया का बनकर देख लिया,
अब श्याम का बनकर देख जरा,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
दुनिया का बनकर देख लिया अब श्याम का बनकर देख जरा #shyam #krishna #krishnabhajan #shyambhajan #radha
"दुनिया का बनकर देख लिया, अब श्याम का बनकर देख ज़रा" — यह अत्यंत मार्मिक और आत्मा को छू लेने वाला भजन, जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) द्वारा रचित एक ऐसा आध्यात्मिक गीत है, जो भटकती हुई आत्मा को श्री श्याम (कृष्ण) की ओर लौट आने का सन्देश देता है। यह भजन संसार की बेवफ़ाई, रिश्तों के छल, और मानव जीवन की थकान के बीच प्रभु श्याम की शरण में सच्चा सुकून और अपनापन पाने का आग्रह करता है।
भजन में बताया गया है कि दुनिया में सब कुछ आज़मा कर देख लिया, अब ज़रा श्याम का होकर देखो। जब अपने भी साथ छोड़ देते हैं, तब प्रभु श्याम अपने भक्तों को न केवल अपनाते हैं, बल्कि उन्हें प्रेम, शांति और मोक्ष का मार्ग भी दिखाते हैं।
राधा नाम की महिमा, मीरा और शबरी जैसी भक्ति की मिसालें इस भजन को और भी सशक्त बना देती हैं। यह भाव पैदा करता है कि यदि मन से कोई राधा कहे, तो श्याम स्वयं सामने आ जाते हैं। यह भजन केवल शब्दों की एक रचना नहीं, बल्कि एक आह्वान है उन सबके लिए जो संसार की ठोकरों से थककर सच्चे प्रेम और शरण की तलाश में हैं।
साधारण भाषा, भावपूर्ण शब्द, और आध्यात्मिक ऊँचाई — ये सब मिलकर इस भजन को हर उम्र और हर मन के लिए प्रिय बना देते हैं। यह कृष्ण भक्ति की उस धारा से जोड़ता है, जिसमें बहते ही आत्मा को परम शांति प्राप्त होती है।
हर्षित जी आपका बहुत बहुत आभार।।
ReplyDeleteराधे राधे 🙏🙏,
जय प्रकाश वर्मा, इन्दौर