तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो, tum hi to baba bhole bhandari ho

तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो



( तर्ज - काशी विश्व नाथ महिमा पर आधारित )

दोहा - पापोहं पाप कर्माहं पापात्मा पाप संभवः।
त्राहि मां पार्वतीनाथ सर्व पापहरो हर।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं, भक्तिहीनं सदाशिव,
यत्पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्तु मे"

तुम ही हो भोलेनाथ तुम ही हो प्राणनाथ,
तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो,
जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे,
तुम हीअभयदानी तुम ही महावरदानी हो,

चरणों में तेरे बाबा जग मुझे दीजिए,
गलती हुई है भोले क्षमा कर दीजिए
तुम में ही हो शांत रूप तुम ही शिव रूप,
हाथों में शंभू त्रिशूल धारी हो,

जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे....

कुछ नहीं मेरा बाबा सब कुछ तेरा है,,
चरणों में तेरे बाबा दास का बसेरा है,
डमरु बजा रहे हैं भोले बाबा मेरे तुम साथ मेरे,
तुम ही शंभू शमशान वासी हो,

जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे....

कोई कहे भोलेनाथ कोई कहे महाकाल,
कोई कहे विश्वनाथ बने मेरे ढाल है,
नंदी की सवारी करें नाग माला धारण करें,
तुम ही भोले बाबा कैलाश वाशी हो,

जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे....

अपराध हमसे हुए हैं भारी भोलेनाथ,
लकी को भोले तेरा साथ अब चाहिए,
कण - कण में समाए हुए बाबा तुम,
पल - पल तुम गमों को काटते,
ख्वाहिश मेरी बाबा मैं बनू काशी का वासी हो,

जटा में गंगा तेरे भाल पे चंदा तेरे....

Lyrics - lucky Shukla



श्रेणी : शिव भजन
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यह भजन "तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो" एक अत्यंत भावपूर्ण और भक्ति से परिपूर्ण शिव स्तुति है, जिसे Lucky Shukla जी ने बड़ी श्रद्धा और समर्पण के साथ लिखा है। यह भजन काशी विश्वनाथ की महिमा पर आधारित है और उसमें भोलेनाथ की दिव्यता, उदारता, और भक्तों पर कृपा का सजीव वर्णन किया गया है। भजन की शुरुआत एक प्रभावशाली दोहे से होती है, जिसमें लेखक स्वयं को पापी मानते हुए शिवजी से क्षमा और शरण की याचना करता है। इसके पश्चात् भजन के हर अंतरे में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, लीलाओं और उनके पावन स्वरूप का वर्णन है — जैसे जटा में गंगा, मस्तक पर चंद्र, त्रिशूलधारी स्वरूप, शमशानवासी स्वरूप, और कैलाशवासी रूप।

इस भजन की विशेषता यह है कि यह केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक आत्मसमर्पण की अभिव्यक्ति है, जिसमें भक्त स्वयं को भगवान के चरणों में अर्पित कर देना चाहता है। "कुछ नहीं मेरा बाबा, सब कुछ तेरा है" जैसी पंक्तियाँ सीधे ह्रदय को स्पर्श करती हैं और शिवभक्ति के रस में डूबा देती हैं। लेखक ने भगवान शिव के अनेक नामों — जैसे भोलेनाथ, महाकाल, विश्वनाथ — का उल्लेख करते हुए उन्हें सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान बताया है। इस भजन का सबसे सुंदर पक्ष यह है कि इसमें केवल शब्दों से नहीं, भावनाओं से पूजा की गई है।

"तुम ही तों बाबा भोले भंडारी हो" वास्तव में एक सच्चे शिवभक्त की अंतरात्मा की पुकार है, जो भगवान शिव को अपना सब कुछ मानकर उनसे सदा के लिए जुड़ जाना चाहता है। यह भजन न केवल सुनने में मधुर है, बल्कि शिवभक्ति के मार्ग पर चलने वालों के लिए एक प्रेरणा और आत्मिक ऊर्जा का स्रोत है।

Harshit Jain

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