भोले बम बम भोले सारे जग के है रखवाले - bhole bam bam bhole

भोले बम बम भोले सारे जग के है रखवाले



भोले बम बम भोले,
सारे जग के है रखवाले,
भक्तो के भंडार भरे,
खुद भस्म रमाने वाले,
भोले बम बम......

अम्रत सबको देता है,
आप ज़हर पी लेता है,
महल दिए हैं भक्तो को,
खुद श्मशान में रहता हैं,
नीलकंठ कहलाता है,
भाग धतुरा खाता है,
बैल सवारी करते हैं डमरू को बजाने वाले,
भोले बम बम......

गंगा की सर पर है धारा,
मस्तक चंदा है प्यारा,
गले में मुंडो की माला,
जिसने सर्पों की धारा,
नाम जो तेरा गाता है,
फल उसको मिल जाता है,
बिन मांगे ही भक्तो को है, सब कुछ देने वाले,
भोले बम बम........

शरण मै तेरी आया हूं,
जग का बड़ा सताया हूं,
मुश्किल मेरी दूर करो,
मैं तो बड़ा घबराया हूं,
खाता देख ना तू मेरा,
भला बुरा हूं मैं तेरा,
अवगुण मेरे दूर करो,
मुक्ती को देने वाले,
भोले बम बम.....



श्रेणी : शिव भजन
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भोले बम बम भोले, सारे जग के हैं रखवाले" — यह भजन भगवान शिव की विराटता, त्याग, करुणा और उनके अनन्य भक्तवत्सल स्वरूप का अत्यंत भावनात्मक और शक्तिशाली चित्रण है। इस भजन में शिव जी की वह छवि उभरकर आती है, जो सब कुछ स्वयं सहते हैं, परंतु अपने भक्तों पर कभी कोई आंच नहीं आने देते।

भजन की शुरुआत ही इस भाव से होती है कि भोलेनाथ पूरे संसार के रखवाले हैं, जो खुद भस्म रमाते हैं, श्मशान में रहते हैं, लेकिन भक्तों को महलों में बिठाते हैं। यह विरोधाभास ही शिवत्व की गहराई को दर्शाता है — एक ऐसा देवता जो वैराग्य का प्रतीक है, फिर भी सबसे बड़ा दाता है।

"नीलकंठ कहलाता है, भाग धतूरा खाता है" — ये पंक्तियाँ शिव जी के विषपान और तपस्वी स्वरूप को उजागर करती हैं। उन्होंने स्वयं विष पी लिया, पर सृष्टि को अमृत दे दिया। उनके गले में नागों की माला है, सिर पर गंगा है, और मस्तक पर चंद्र — यह सब संकेत है उनके प्रकृति और तांडव दोनों से गहरे संबंध के।

भजन का अंतिम भाग एक भक्त की पुकार है — “शरण मैं तेरी आया हूं, जग का बड़ा सताया हूं” — यह हर उस इंसान की आवाज़ है जो दुनिया की ठोकरों से थककर भोले की शरण में आता है, और निःस्वार्थ भाव से कहता है कि चाहे जैसा भी हूं, पर हूं तेरा। यह आत्मसमर्पण का चरम है — जहाँ भक्त अपनी कमजोरियाँ स्वीकार कर केवल शिव की कृपा का इच्छुक होता है।

इस भजन की विशेषता यह है कि यह शिव के महात्यागी स्वरूप को भी दिखाता है और उनके दयालु, कृपालु, सर्वदाता रूप को भी। चाहे कोई कितना भी गिरा हो, एक बार “बम बम बोले” कहकर सच्चे मन से पुकारे, तो भोलेनाथ उसकी सुनते हैं — यही संदेश इस भक्ति गीत के हर शब्द में समाया है।

Harshit Jain

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