मुझै राम से मिला दे रे
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
मुझै दरश करा दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरी जैजैकार बुलाऊंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरी गदा मैं बनवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसमे सियराम लिखवा दूंगी , ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरी माला मैं बनवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसे फूलो सा सजा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरा मुकुट मैं बनवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसमे हीरा मैं जड़वा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरा चोला मैं मंगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसमे गोटा मैं लगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरा भोग मैं लगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
लड्डू चूरमा मंगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरे भगतो को बुला दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
तेरे कीर्तन करवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
मुझै दरश करा दे रे, ओ अंजनी के लाला,,
तेरी जैजैकार बुलाऊंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरी गदा मैं बनवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसमे सियराम लिखवा दूंगी , ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरी माला मैं बनवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसे फूलो सा सजा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरा मुकुट मैं बनवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसमे हीरा मैं जड़वा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरा चोला मैं मंगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
उसमे गोटा मैं लगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरा भोग मैं लगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
लड्डू चूरमा मंगवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
तेरे भगतो को बुला दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
तेरे कीर्तन करवा दूंगी, ओ अंजनी के लाला,
मुझै राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला,
श्रेणी : हनुमान भजन
यह भजन "मुझे राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला" एक अत्यंत भावपूर्ण और श्रद्धा से परिपूर्ण हनुमान भक्ति गीत है, जिसमें एक भक्त अपनी संपूर्ण आस्था और समर्पण के साथ हनुमान जी से भगवान श्रीराम के दर्शन की याचना करता है। यह रचना भावों की गहराई में उतरकर भक्ति की चरम सीमा को छूती है, जहाँ भक्त हनुमान जी को "अंजनी के लाला" कहकर पुकारता है — यह संबोधन स्वयं में एक मधुर भाव जगाता है और भक्त तथा भगवान के बीच की आत्मीयता को प्रकट करता है।
भजन में बार-बार दोहराया गया मुख्य भाव — "मुझे राम से मिला दे रे, ओ अंजनी के लाला" — केवल शब्द नहीं, बल्कि भक्त की व्याकुलता, तड़प और गहरी लगन को दर्शाता है। पूरी रचना में भक्त, अपने आराध्य हनुमान जी के लिए भोग, वस्त्र, गदा, मुकुट, माला आदि की भेंटों की कल्पना करता है, और उन सभी में राम नाम, भक्ति और प्रेम की छाया रहती है। वह कहता है कि वह तेरे लिए सब कुछ करेगा — गदा बनवाएगा जिसमें "सियाराम" लिखा होगा, तेरी माला फूलों से सजाएगा, तेरा मुकुट बनवाकर उसमें हीरे जड़वाएगा, चोला मंगवाकर उसमें गोटा लगवाएगा — पर तू बस इतना कर दे, राम से मिला दे।
इस भजन में केवल भक्ति नहीं, बल्कि प्रेम और सेवा का गूढ़ अर्थ समाहित है। लेखक ने न केवल भक्ति की ऊँचाइयों को छूने की चेष्टा की है, बल्कि हनुमान जी को एक सखा, सेवक, और दूत के रूप में देख कर उनसे अपने आराध्य श्रीराम से मिलने की अंतिम प्रार्थना की है। यह भजन हर उस हृदय को छूता है, जो ईश्वर से मिलने की सच्ची प्यास रखता है।
यह रचना अनाम भक्त की अथवा किसी भजन संकलन से ली गई हो सकती है, पर इसकी भाव-प्रधान शैली और दोहराव से यह स्पष्ट होता है कि यह लोकभक्ति परंपरा का हिस्सा है — जहाँ शब्दों से अधिक भावों की शक्ति होती है। इस भजन को मंच, मंदिर, या कीर्तन मंडली में गाया जाए तो वातावरण राम और हनुमान भक्ति से पूर्णतया सराबोर हो उठता है।