मैया तुझको पुकारे तेरा लाल
( तर्ज - तुमको पुकारे मेरा प्यार ... )
सच्चा है तेरा दरबार, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
संकट में हुआ बेहाल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
करता हूं विनती तुमसे देना सहारा माँ,
लोगों ने मुझको किया बेसहारा माँ,
दुनिया चले है चाल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
संकट में हुआ बेहाल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
परेशानी ने मुझको घेरा है मैया तेरे पास में आया,
मिटता है दुख यहां सुना है मैं सबसे अर्जी लगाया,
बन जाना मेरी ढाल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
संकट में हुआ बेहाल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
तेरे भरोसे ही जी रहा हूं मैया मैं तो अब तक,
सुन लो विनती लक्की माँ देरी ये कब तक,
सुर ना मुझ में कोई ताल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
संकट में हुआ बेहाल, मैया तुझको पुकारे तेरा लाल,
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : दुर्गा भजन
माँ के दरबार की सच्चाई और करुणा में विश्वास रखते हुए भक्त अपने हृदय से पुकारता है – “मैया, तुझको पुकारे तेरा लाल।” जीवन के संकटों और कठिनाइयों में जब हर ओर से निराशा घेर लेती है, तब वही माँ शरण देने वाली और सहारा बनने वाली होती है। जब दुनिया अपने छल और चाल से थका देती है और कोई सहारा नहीं देता, तब माँ का आंचल ही शांति और सुरक्षा का आश्रय बन जाता है। भक्त अपनी पीड़ा और परेशानी लेकर माँ के चरणों में आता है, क्योंकि उसने सुना है कि माँ के दरबार में हर दुख मिटता है और हर अरज़ी सुनी जाती है। वह प्रार्थना करता है कि माँ उसकी ढाल बनकर हर कष्ट को दूर करें। ‘लक्की’ के भावों में यह प्रार्थना और भी गहराई ले लेती है—वह कहता है कि सुर-ताल तो उसके पास नहीं, पर सच्चे मन से की गई यह विनती माँ ज़रूर सुनेंगी। माँ के भरोसे ही जीवन चलता रहा है और अब यही पुकार है कि माँ अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखें। यही भजन हमें माँ की असीम ममता और करुणा का एहसास कराता है।