हाथ जोड़ के मांगता हूं ऐसा हो जनम
( तर्ज - मेरे प्यार की उमर हो )
हाथ जोड़ के मांगता हूं ऐसा हो जनम,
राधा वल्लभ मेरे जीवन की तुम्ही धड़कन,
मैं हूँ दासी तेरी तुम मेरे प्रियतम ....
तेरा सुंदर सिंगार तुझे देखता रहूँ,
तेरे चरणों में ठाकुर मैं बैठाता रहूँ,
तू हर रहा जीवन के सारे ये गम,
मैं हूँ दासी तेरी तुम मेरे प्रियतम ....
तूने दिया मुझको बेशुमार सांवरे,
वृंदावन में होता उपचार सांवरे,
तू तो लड़ रहा सबसे मेरी ये जंग,
मैं हूँ दासी तेरी तुम मेरे प्रियतम ....
तुझे देखा तो दिल ये दीवाना हो गया,
तेरे प्यार में मैं पागल मस्ताना हो गया,
लकी गाए गुन जितने भी लगते हैं कम,
मैं हूँ दासी तेरी तुम मेरे प्रियतम ....
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : कृष्ण भजन
भक्त हाथ जोड़कर प्रभु से यही प्रार्थना करता है कि ऐसा जन्म मिले जिसमें राधावल्लभ ही उसके जीवन की धड़कन हों। वह स्वयं को दासी मानकर ठाकुर को प्रियतम कहता है और उनके चरणों में सदा बैठने की लालसा व्यक्त करता है। कान्हा का सुंदर श्रृंगार जब उसकी आँखों के सामने आता है तो वह निरंतर उन्हें निहारना चाहता है। प्रभु उसके जीवन के सारे दुख और ग़म हर लेते हैं और अपने प्रेम से उसे पूर्ण कर देते हैं। सांवरे ने उसे अपार कृपा दी है, हर पीड़ा का उपचार बनकर वह वृंदावन में अपने भक्त की रक्षा करते हैं। वे ही उसकी हर लड़ाई में उसके संग खड़े रहते हैं। जब भक्त कान्हा के दर्शन करता है तो उसका हृदय दीवाना और मस्ताना हो जाता है, मानो कृष्ण के प्रेम में खोकर संसार की हर चीज़ भूल जाता है। गायक ‘लकी’ के शब्दों में कहा जाए तो कृष्ण के गुण गाने से भी मन कभी तृप्त नहीं होता, क्योंकि प्रभु की महिमा और माधुर्य अनंत हैं।