श्यामा जब से आई है हाथ तेरे मुरली
श्यामा जब से आई है हाथ तेरे,
कि मुरली को गुमान हो गया।
ओ इसके कट गए चौरासी वाले घेरे,
कि मुरली को गुमान हो गया।
लकड़ी थी बांस की, कोई पूछता ना बात को।
तेरे हाथ लगी ये तो भूल गई औकात को।
ओ पेड़ और भी हैं जंगलों में वथेरे,
कि मुरली को गुमान हो गया...
सोने चांदी वाली कभी मुरली ना बजती।
तेरे हाथ आई श्यामा, बांस की भी सज गई।
ओ मीठे राग सुनाए हर वेले,
कि मुरली को गुमान हो गया...
तेरी मुरली वे श्यामा, सोने भी ना देती है।
घर में हरदम पुकारे लगाती रहती है।
ओ हमें मुरली की तरह रखती है पास पास,
कि मुरली को गुमान हो गया...
अपलोडर -- अनिलरामूर्ति, भोपाल
श्रेणी : कृष्ण भजन
👏👏श्यामा जदों दी आई ऐ हथ तेरे 🙏🙏 के मुरली नूं घुमान हो गया 🌺🌺 राधे राधे 🌹🌹
यह भजन "श्यामा जब से आई है हाथ तेरे, कि मुरली को गुमान हो गया" एक अत्यंत सुंदर, कल्पनात्मक और भावनाओं से भरा हुआ कृष्ण भक्ति गीत है, जिसमें मुरली (बांसुरी) की दृष्टि से राधारानी के आगमन के बाद के प्रेम और सौंदर्य की अनुभूति को शब्दों में पिरोया गया है।
भजन यह दर्शाता है कि जब से राधा ने श्रीकृष्ण के जीवन में प्रवेश किया है, तब से उनकी मुरली को भी अपने सौभाग्य पर घमंड (गुमान) हो गया है। पहले जो बांस की एक सामान्य लकड़ी थी, वह राधा के प्रेम की छाया में देवताओं जैसी बन गई है — उसकी कीमत अब स्वर्ण-चांदी से भी ऊपर हो गई है।
मुरली खुद को भाग्यशाली मानने लगी है क्योंकि वह अब उसी राधा-कृष्ण प्रेम की साक्षी है जो जन्म-जन्मांतरों से पूजनीय है। यह मुरली अब केवल संगीत का साधन नहीं रही, बल्कि वह श्याम के प्रेम की प्रतीक बन गई है, जिसे राधा के प्रेम ने भी महिमा दे दी है।
हर पंक्ति में प्रेम, सौंदर्य, और भक्ति की ऐसी मिठास है जो यह दिखाती है कि राधारानी के छू जाने से साधारण भी असाधारण बन जाता है। मुरली की तरह ही, जो भी श्याम के प्रेम में डूब जाए, उसकी भी कीमत संसार में अनमोल हो जाती है।
यह भजन केवल मुरली की बात नहीं करता — यह प्रेम की ताक़त, राधा के महत्व और भक्ति की ऊँचाईयों को बड़े ही सहज और सुंदर शब्दों में प्रकट करता है।