आना कभी मेरे घर पर सांवरे
( तर्ज - चाहा है तुझको चाहेंगे )
आना कभी मेरे घर पर सांवरे,
प्रेमी तो बाबा है तेरे बावरे,
तेरी ज्योत जलाई है, अरदास लगाई है,
प्रेम हमने तुमसे किया ना किया बहना,
घर नहीं मेरा बाबा तेरा ही ठिकाना,
क्यों बैठे हो चुपचाप तुम सबके सामने,
आना कभी मेरे घर पर सांवरे ....
एक टक श्याम को निहारते मैं रहता,
बात अपने दिल की मैं बाबा तुमसे कहता,
लीले पर चढ़कर आज मेरे बाबा आएंगे,
आना कभी मेरे घर पर सांवरे ....
महाभारत की वो सच्ची कहानी है,
भक्तों का सांवरा शीश का दानी है,
रख विश्वास लकी एक दिन बाबा आएंगे,
आना कभी मेरे घर पर सांवरे ....
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
यह भजन “आना कभी मेरे घर पर सांवरे” खाटू श्याम जी के प्रति समर्पण, प्रेम और गहरे भावों से भरी हुई रचना है, जिसे Lucky Shukla जी ने बड़े हृदयस्पर्शी अंदाज़ में लिखा है। यह भजन प्रसिद्ध तर्ज “चाहा है तुझको चाहेंगे” पर आधारित है, जो इसे और भी भावनात्मक और मधुर बना देता है।
भजन में एक सच्चे भक्त की पुकार है, जो अपने आराध्य श्याम बाबा से निवेदन करता है कि “आना कभी मेरे घर पर सांवरे” — यह पंक्ति केवल निमंत्रण नहीं, बल्कि उस गहरी तड़प का प्रतीक है, जिसमें भक्त अपने प्रभु के दर्शन की कामना करता है। वह कहता है कि उसने बाबा की ज्योत जलाई है, अरदास लगाई है, और प्रेम से अपने जीवन को श्याममय बना लिया है।
Lucky Shukla जी ने इस भजन में भक्त और भगवान के मधुर संवाद को अत्यंत सुंदरता से उकेरा है। भक्त कहता है कि “घर नहीं मेरा बाबा, तेरा ही ठिकाना,” जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसके जीवन का केंद्र केवल श्याम बाबा ही हैं। वह हर पल बाबा को निहारता है, अपने दिल की बात उन्हीं से कहता है, और विश्वास रखता है कि एक दिन बाबा स्वयं उसके द्वार आएंगे।
भजन का अंतिम भाग विशेष रूप से प्रेरणादायक है — “महाभारत की वो सच्ची कहानी है, भक्तों का सांवरा शीश का दानी है,” — यह पंक्ति श्याम बाबा के त्याग, प्रेम और भक्तवत्सलता की याद दिलाती है।
यह भजन श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत उदाहरण है। Lucky Shukla जी की लेखनी में भावनाओं की गहराई और भक्ति की मिठास दोनों झलकती हैं। “आना कभी मेरे घर पर सांवरे” केवल एक भजन नहीं, बल्कि हर उस भक्त की आत्मा की आवाज़ है, जो अपने सांवरे से मिलन की प्रतीक्षा में है।