मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है,
( तर्ज - हरि ओम - ओम समाया है )
आज मुझे पे तरस तुम्हें आया है,
मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है,
मेरा बाबा ही बड़ा दयालूँ है,
ये करता नजर है कृपालु है,
मुझे बेटा कहके बुलाया है,
मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है ....
तुम कालों के काल हो महाकाल,
तेरा साथ मिला बाबा हुआ है कमाल,
मेरे सिर पर हाथ फिराया है,
मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है ....
मेरी आंखों में बाबा पानी है,
तू दया निधि कितना दानी है,
लकी को भाव लिख वाया है,
मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है ....
lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : शिव भजन
यह भजन “मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है” भगवान महाकाल की असीम कृपा और भक्त के गहरे प्रेम को समर्पित एक अत्यंत भावनात्मक रचना है, जिसे Lucky Shukla जी ने अपनी सच्ची भक्ति से लिखा है। यह भजन प्रसिद्ध तर्ज “हरि ओम – ओम समाया है” पर आधारित है, और इसके हर शब्द में महाकाल के प्रति गहरी आस्था झलकती है।
भजन की शुरुआत होती है उस क्षण से जब भक्त कहता है — “आज मुझे पे तरस तुम्हें आया है, मुझे बाबा ने उज्जैन बुलाया है।” यह पंक्ति भक्त के जीवन की सबसे बड़ी कृपा को व्यक्त करती है, क्योंकि उज्जैन — महाकाल की नगरी — में बुलाया जाना स्वयं भगवान की अनुमति और आशीर्वाद का प्रतीक है।
भजन में आगे Lucky Shukla जी लिखते हैं — “मेरा बाबा ही बड़ा दयालु है, ये करता नजर है कृपालु है,” — इन शब्दों में महाकाल की करुणा और अपने भक्तों के प्रति उनकी सहज कृपा का सुंदर वर्णन है। जब बाबा किसी को “बेटा” कहकर बुलाते हैं, तो वह पल भक्त के जीवन का सबसे पवित्र क्षण बन जाता है।
दूसरे अंतरे में भगवान को “कालों के काल, महाकाल” कहकर संबोधित किया गया है — जो उनके अद्वितीय स्वरूप और शक्ति का परिचय कराता है। भक्त का भाव स्पष्ट है कि बाबा का साथ मिलना जीवन का सबसे बड़ा चमत्कार है।
अंतिम पंक्तियों में, Lucky Shukla जी अपनी गहरी भावना व्यक्त करते हैं — “मेरी आंखों में बाबा पानी है, तू दया निधि कितना दानी है।” यह शब्द एक सच्चे भक्त की आंखों में उमड़ती भावनाओं का प्रतीक हैं — जहाँ प्रेम, कृतज्ञता और श्रद्धा एक साथ बहती हैं।
यह भजन न केवल एक भक्त की विनम्र पुकार है, बल्कि भगवान महाकाल के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति का जीवंत प्रमाण भी है। Lucky Shukla जी की लेखनी में भक्ति की वह शक्ति है, जो सुनने वाले के हृदय को उज्जैन की पवित्र हवा की तरह छू जाती है