बातें अपने दिल की किस को कहूंगा
( तर्ज - प्राइवेट )
तुम ना सुनोगी तो किसको कहूंगा,
बातें अपने दिल की किस को कहूंगा,
परीक्षा है भारी मेरी ये मैया,
तुम बन जाना मां मेरी खिवैया,
अकेला दुखों को कैसे सहूँगा,
बातें अपने दिल की किस को कहूंगा....
अंधेरा बहुत है सूझे ना किनारा,
हारा है दास तेरा फिरे मारा - मारा,
भक्ति की ज्योति जला कर रहूंगा,
बातें अपने दिल की किस को कहूंगा....
परेशानी ने अब तो डेरा लगाया,
सब छोड़ लक्की चौखट पे आया,
चुपचाप मैं तो सहता रहूंगा,
बातें अपने दिल की किस को कहूंगा....
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : दुर्गा भजन
यह भजन “बातें अपने दिल की किसको कहूंगा” मां दुर्गा के चरणों में समर्पित एक अत्यंत भावनात्मक और हृदयस्पर्शी रचना है, जिसे Lucky Shukla जी ने लिखा है। यह भजन प्रसिद्ध तर्ज “प्राइवेट” पर आधारित है, और इसमें एक सच्चे भक्त की वेदना, विश्वास और भक्ति का गहरा मिश्रण दिखाई देता है।
भजन की शुरुआत में भक्त अपनी मां से सीधा संवाद करता है — “तुम ना सुनोगी तो किसको कहूंगा, बातें अपने दिल की किसको कहूंगा।” यह पंक्ति उस भाव को प्रकट करती है जब एक भक्त जीवन की परेशानियों से टूटकर केवल अपनी मां के चरणों में ही सुकून पाता है। वह जानता है कि दुनिया कुछ भी कहे, लेकिन मां ही उसकी सच्ची सुनने वाली है।
दूसरे अंतरे में Lucky Shukla जी ने जीवन की कठिनाइयों का बहुत सुंदर चित्रण किया है — “परीक्षा है भारी मेरी ये मैया, तुम बन जाना मां मेरी खिवैया।” यह दर्शाता है कि भक्त जीवन रूपी सागर में संघर्ष कर रहा है और मां से प्रार्थना करता है कि वह उसकी नैया की सारथी बन जाएं। यह विश्वास का अत्यंत गहन स्वरूप है।
भजन के अगले हिस्से में भक्त अपने अंधकारमय जीवन का वर्णन करता है — “अंधेरा बहुत है, सूझे ना किनारा,” पर वह हार नहीं मानता और कहता है कि वह “भक्ति की ज्योति जला कर रहेगा।” यह पंक्ति आशा और श्रद्धा का प्रतीक है, जो सिखाती है कि मां की भक्ति से हर अंधेरा मिट सकता है।
अंत में, Lucky Shukla जी अपने भावों को चरम पर पहुंचाते हैं — “परेशानी ने अब तो डेरा लगाया, सब छोड़ लक्की चौखट पे आया।” यह पंक्ति उस सच्चे समर्पण की गवाही देती है जब भक्त संसार से थककर केवल अपनी मां की शरण में आता है।
यह भजन न केवल मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि एक भक्त के टूटे हुए दिल की सच्ची आवाज़ भी है। Lucky Shukla जी की लेखनी इस रचना में प्रेम, दर्द और विश्वास को इस तरह पिरोती है कि हर श्रोता अपने मन से “जय माता दी” कह उठता है।