आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो
आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो,
मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो,
सतसंग मे मेरी बात चलायी,
सतगुरु ने मेरी किनी सगाई,
उनको बोला के हथलेवा तो करा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो,
ऐसी ओडु चुनरी जो रंग नाही छूटे,
ऐसा वरु दूल्हा जो कबहू ना छूटे,
अटल सुहाग वाली बिंदिया लगा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो,
ऐसी पह्नु चूड़ी जो कभ हु न टूटे,
प्रेम प्रीती धागा कभ हु न छूटे,
आज मेरी मोतियों से मांग तो भरा दो,
सूंदर सजा दो मुझे मेहँदी तो लगा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो,
भक्ति का सुरमा मैं आख मे लगाउंगी,
दुनिया से नाता तोड़ मैं उनकी हो जाउंगी,
सतगुरु को बुला के फेरे तो पडवा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
बाँध के गुन्ग्रू मै उनको रीझुंगी,
ले के इक तारा मै श्याम श्याम गाऊँगी,
सतगुरु को बुला के बिदा तो करा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
श्रेणी : कृष्ण भजन
आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो लिरिक्स Aao Meri Sakhiyo Mujhe Mehandi Laga Do Lyrics
"आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो" एक अत्यंत भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण भजन है, जो एक भक्त की उस गहन अभिलाषा को दर्शाता है जहाँ वह स्वयं को श्याम सुंदर यानी भगवान श्रीकृष्ण की दुल्हन के रूप में देखती है। यह भजन नारी रूप में सजी भक्त आत्मा की पुकार है, जो अपने ईश्वर के साथ आत्मिक मिलन की लालसा में रची-बसी है।
भजन की पंक्तियाँ एक विशेष विवाह संस्कार का चित्रण करती हैं — लेकिन यह सांसारिक नहीं, बल्कि अध्यात्मिक है। "सखियों" को बुलाकर "मेहँदी लगाने" की बात कहकर वह ईश्वर से जुड़ने की तैयारी करती है। वह चाहती है कि उसे श्याम सुंदर के संग ऐसा विवाह मिले जो कभी न टूटे, जिसमें प्रेम, भक्ति, और निष्ठा की चूड़ियाँ सजी हों और जिसकी बिंदी अटल सुहाग की प्रतीक हो।
इस भजन की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें "सतगुरु" की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सतगुरु को मध्यस्थ बनाकर वह श्याम सुंदर से आत्मिक मिलन की अनुमति चाहती है। वह यह भी कहती है कि सत्संग में उसकी बात चली, सतगुरु ने सगाई कराई, और अब हथलेवा (विवाह की एक रस्म) भी करा दी जाए। इस प्रकार यह भजन भक्त और भगवान के बीच के उस दिव्य मिलन की कथा है जिसे भक्ति की भाषा में विवाह कहा गया है।
भजन की रचना ऐसी शैली में की गई है जो आमजन की भावना से जुड़ती है — भावनाओं में बहती, सरल शब्दों में सजी, और मन को छू लेने वाली। भजनकार ने यह गीत रचकर केवल शब्दों का संगम नहीं किया है, बल्कि आत्मा की पुकार को पंक्तियों में पिरोया है।