टूट गया जग से भरोसा, खुद से ही मैं हारा श्याम लिरिक्स Tut Gaya Jag Se Bharosa Lyrics Shri Khatu Shyam Ji Bhajan

टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम



टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम,
आस बचे बस केवल तेरी हारे का तू सहारा श्याम,
टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम,

झूठ की गठरी दुनिया सारी मतलब की है केवल यारी,
रिश्ते नाते आँख चुराते समज न पाया दुनिया दारी,
ठोकर खाया दर दर भटका घर घर सब को पुकारा श्याम,
टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम,

अपनी दया और अपनी नजर करदो मुझपर पल भर,
सुन कर आया द्वार तुम्हारे रखते हो तुम सब की खबर,
तेरा जलवा जानू मैं भी थाम लो हाथ हमारा श्याम,
टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम,

तेरे मेरे बीच में दुरी क्यों है ऐसी क्या मज़बूरी,
आन पड़ी अब तेरी जरुरत तेरा कर्म है बहुत जरुरी,
आया मैं भी शरण तुम्हारे देदो अपना सहारा श्याम,
टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम,



श्रेणी : खाटू श्याम भजन



बिगड़ी बनाने वाला - हारे का है सहारा श्याम | Haare Ka Baba Shyam | Manish Upadhyay

"टूट गया जग से भरोसा खुद से ही मैं हारा श्याम" एक अत्यंत मार्मिक और आत्मा को झकझोर देने वाला भजन है, जो उस भक्त के दिल की पुकार है जिसने संसार की छलनाओं और खुद की कमजोरियों से हार मान ली है। यह भजन एक ऐसे हारे हुए इंसान की गाथा है, जिसने जीवन की कठोर सच्चाइयों को देखा, रिश्तों की दिखावटी चमक से धोखा खाया, और अंततः केवल श्याम को ही अपना अंतिम सहारा माना।

इस भजन में श्याम से एक भक्त की करुण पुकार सुनाई देती है — वह कहता है कि उसे न अब संसार पर भरोसा रहा, न ही स्वयं पर विश्वास बचा है। यह भजन न सिर्फ संसार के स्वार्थी व्यवहार पर कटाक्ष करता है, बल्कि उस सच्चे प्रेम और दया के स्रोत ‘श्याम’ की ओर लौटने का मार्ग भी दिखाता है।

जब दुनिया ने मुंह मोड़ा, जब रिश्तेदार भी पराए बन गए, तब एक ही नाम शेष रहा — श्याम का। वह कहता है कि हर जगह भटककर अब मैं तेरे द्वार आया हूं, क्योंकि तू ही हर हारे का सच्चा सहारा है।

भजन की पंक्तियों में भक्त बार-बार एक ही विनती करता है — “तेरे और मेरे बीच ये दूरी क्यों है? क्या मज़बूरी है?” यह प्रश्न केवल श्याम से नहीं, बल्कि जीवन के उस परम सत्य से है, जहाँ हर आत्मा ईश्वर से जुड़ना चाहती है लेकिन माया की दीवारें आड़े आ जाती हैं।

अंततः, यह भजन एक करुण पुकार है, एक टूटी आत्मा की सच्ची आवाज़ है, जो हर उस व्यक्ति के दिल को छूती है जिसने कभी अकेलेपन, निराशा और असहायता को महसूस किया हो। यह रचना केवल शब्द नहीं, आत्मा की पीड़ा और ईश्वर की ओर बढ़ते विश्वास की अमर अभिव्यक्ति है।

जिस किसी ने भी इस भजन को लिखा है, उसने संसार से टूटी आत्मा की गहराई को शब्दों में इस तरह पिरोया है कि सुनने वाला न केवल भाव-विभोर हो जाए, बल्कि उसके हृदय से भी स्वयं एक ही आवाज़ निकले — "टूट गया जग से भरोसा, खुद से ही मैं हारा श्याम..."

Harshit Jain

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