सब कुछ दिया है तुमने इतना और सरकार देदो
सब कुछ दिया है तुमने इतना और सरकार देदो,
यह हटा के प्यार सबका अपना ही प्यार देदो,
मैं ढूंढूं जंगलों में बस्ती में तुझको ढूंढूं,
गर हो सके तो मुझको अपना दीदार देदो,
यह हटा के प्यार सबका...
ऐसी पिला दे मुझको खुद तक को भूल जाऊं,,
अपनी मस्ती भरी हुयी चितवन का खुमार देदो,
यह हटा के प्यार सबका...
लुट गयी है दिल की दुनिया यह झूठा प्यार करके,
मिलने की है तमन्ना मुझको करार देदो,
यह हटा के प्यार सबका...
गर हो गए मेहरबान पागल पे नंदनंदन,,
यह छुड़ा के द्वार झूठा अपना वो द्वार देदो,
यह हटा के प्यार सबका...
श्रेणी : कृष्ण भजन
Skylark Infotainment
"सब कुछ दिया है तुमने इतना और सरकार देदो" एक अत्यंत भावुक और आत्मसमर्पण से परिपूर्ण कृष्ण भजन है, जो प्रेम, भक्ति और भगवान से मिलन की गहरी चाह को सुंदर शब्दों में व्यक्त करता है। यह भजन न केवल भक्त के हृदय की पुकार है, बल्कि एक ऐसी आत्मीय विनती है जो सीधे ठाकुर श्रीकृष्ण के चरणों में जा पहुँचती है।
इस रचना में भक्त कहता है कि — "सब कुछ दिया है तुमने इतना, और सरकार देदो," — यानी जीवन की हर भौतिक वस्तु भगवान ने दी है, परंतु अब उसकी सबसे बड़ी आकांक्षा केवल और केवल प्रभु का प्रेम और साक्षात्कार है। वह यह कहता है कि अब दूसरों का प्रेम नहीं चाहिए, अब केवल "अपना ही प्यार" दे दो।
भजन में उस तड़प को महसूस किया जा सकता है जहाँ भक्त जंगलों, बस्तियों और हर दिशा में प्रभु को खोज रहा है। उसे अब किसी और चीज़ की चाह नहीं, बस एक बार "दीदार" हो जाए, वह प्रभु के दर्शन कर ले — यही उसकी सबसे बड़ी चाह बन चुकी है।
एक पंक्ति आती है — "ऐसी पिला दे मुझको खुद तक को भूल जाऊं," — यह दर्शाती है कि भक्त उस ईश्वर के प्रेम में इतना डूब जाना चाहता है कि अपनी अहम् की पहचान भी खो दे। वो प्रभु की मस्ती भरी चितवन को ही अपना नशा बनाना चाहता है।
यह भजन संसार के झूठे और छलावे भरे प्रेम से टूट चुके एक मन की सच्ची अभिव्यक्ति है, जो अब केवल उस परम सत्य – श्रीकृष्ण – से मिलने की व्याकुलता लिए हुए है। "लुट गई है दिल की दुनिया यह झूठा प्यार करके" जैसे शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि अब भक्त को किसी सांसारिक संबंध में रुचि नहीं, उसे बस प्रभु का सच्चा सान्निध्य चाहिए।
अंत में, यह प्रार्थना और भी गहन हो जाती है — "यह छुड़ा के द्वार झूठा, अपना वो द्वार देदो", यानी अब संसार के द्वार से मुक्ति देकर, प्रभु अपने निज धाम का द्वार खोल दें।