गायत्री स्तवनम् शुभ ज्योति के पुंज अनादि अनुपम - gayatri stavan lyrics

गायत्री स्तवनम्



॥ गायत्री स्तवनम् ॥


शुभ ज्योति के पुंज, अनादि अनुपम, ब्रह्माण्ड व्यापी आलोक कत्र्ता।
दारिद्रय, दु:ख भय से मुक्त कर दो, पावन बना दो हे देव सविता।।

ऋषि देवताओं से नित्य पूजित। हे भर्ग! भवबन्धन-मुक्ति कत्र्ता।
स्वीकार कर लो वंदन हमारा। पावन बना दो हे देव सविता।।

हे ज्ञान के घन, त्रैलोक्य पूजित। पावन गुणों के विस्तार कत्र्ता।
समस्त प्रतिभा के आदि कारण। पावन बना दो हे देव सविता।।

हे गूढ अन्त:करण में विराजित। तुम दोष-पापादि संहार कत्र्ता।
शुभ धर्म का बोध हमको करा दो। पावन बना दो हे देव सविता।।

हे व्याधि-नाशक, हे पुष्टि दाता। ऋग्, साम, यजु, वेद संचार कत्र्ता।
हे भुर्भूव: स्व: में स्व प्रकाशित। पावन बना दो हे देव सविता।।

सब वेदविद् चरण, सिद्ध योगी। जिसके सदा से हैं गान कर्ता।
हे सिद्ध सन्तों के लक्ष्य शाश्वत्। पावन बना दो हे देव सविता।।

हे विश्व मानव से आदि पूजित। नश्वर जगत में शुभ ज्योति कत्र्ता॥
हे काल के काल-अनादि ईश्वर। पावन बना दो हे देव सविता॥ ७॥

हे विष्णु ब्रह्मादि द्वारा प्रचारित। हे भक्त पालक , हे पाप हत्र्ता।
हे काल-कल्पादि के आदि स्वामी। पावन बना दो हे देव सविता॥८॥

हे विश्व मण्डल के आदि कारण। उत्पत्ति-पालन-संहार कत्र्ता॥
होता तुम्हीं में लय यह जगत्ï सब। पावन बना दो हे देव सविता॥९॥

हे सर्वव्यापी, प्रेरक, नियन्ता। विशुद्घ आत्मा, कल्याण कत्र्ता॥
शुभ योग पथ पर हमको चलाओ। पावन बना दो हे देव सविता॥१०॥

हे ब्रह्मनिष्ठों से आदि पूजित। वेदज्ञ जिसके गुणगान कत्र्ता॥
सद्ïभावना हम सब में जगा दो। पावन बना दो हे देव सविता॥११॥

हे योगियों के शुभ मार्गदर्शक। सद्ज्ञान के आदि संचार कत्र्ता॥
प्रणिपात स्वीकार लो हम सभी का। पावन बना दो हे देव सविता॥१२॥



श्रेणी : दुर्गा भजन



गायत्री स्तवनम् शुभ ज्योति के पुंज अनादि अनुपम - gayatri stavan lyrics

गायत्री स्तवनम् एक अत्यंत पावन और श्रद्धापूर्ण भजन है, जो ब्रह्मांड की आदिशक्ति – गायत्री माता की महिमा का गान करता है। इस स्तवन के माध्यम से हम देवी गायत्री से आशीर्वाद की कामना करते हैं, जो न केवल ज्ञान और प्रकाश की देवी हैं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि की आधारशक्ति भी हैं। इस स्तुति में उन्हें "देव सविता" कहकर पुकारा गया है, जो सूर्य के रूप में प्रकट होकर सम्पूर्ण संसार को आलोकित करती हैं और अज्ञान, पाप, दुःख, भय और रोग जैसे समस्त नकारात्मक तत्वों का नाश करती हैं।

यह भजन आदिकाल से पूज्य ऋषि-मुनियों और सिद्ध योगियों की परंपरा को दर्शाता है, जो गायत्री को ज्ञान, धर्म, योग और वेदों की जननी के रूप में पूजते आए हैं। गायत्री स्तवनम् में देवी को त्रैलोक्य पूजिता, सर्वव्यापी, प्रेरक, नियन्ता, तथा शुभ धर्म और सद्ज्ञान की प्रदायिनी कहा गया है। यह भजन केवल स्तुति मात्र नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि, धर्मबोध, सद्गुणों की प्राप्ति और मोक्ष की कामना का माध्यम भी है।

इस गायत्री स्तवन की रचना अत्यंत भक्तिभाव से की गई है, और इसकी प्रत्येक पंक्ति में श्रद्धा, समर्पण और अध्यात्म की गहराई छिपी है। यह भजन उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो जीवन में ज्ञान, शांति और मोक्ष की ओर अग्रसर होना चाहते हैं। इसके गायक और रचयिता ने बहुत ही भावपूर्ण शैली में अपने शब्दों द्वारा हमें गायत्री माता के श्रीचरणों में झुकने को प्रेरित किया है। यह भजन दुर्गा भजन श्रेणी में आता है, परंतु इसकी विशेषता यह है कि यह सम्पूर्ण सनातन परंपरा में देवी उपासना के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है।

Harshit Jain

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