मेरी करुणामयी सरकार मिला दो ठाकुर से इक बार
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से इक बार,
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने वाली,
गोलोक के ठाकुर प्यारे, तीन लोक के ठाकुर प्यारे,
तेरे लिए ब्रज धाम पधारे,
के कृष्ण लीला की सार,
मिला दो ठाकुर से इक बार,
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने वाली,
तू ही मोहन तू ही राधा,
तुझ बिन मोहन आधा आधा, राधा राधा,
नंदनंदन प्राण आधार,
मिला दो ठाकुर से इक बार,
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने वाली,
मेरा सोया भाग्य जगा दे,
हे श्यामा मोहे श्याम मिला दे, राधे राधे श्याम मिला दे,
तेरे वश में है नंदकुमार,
मिला दो ठाकुर से इक बार
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने वाली,
श्रेणी : राधा रानी भजन
मेरी करुणामयी सरकार - Meri Karunamayi Sarkar Mila Do Thakur Se Ik Bar Bhajan Lyrics
"मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से इक बार" एक अत्यंत भावविभोर राधा रानी भजन है, जो भक्ति रस में डूबी आत्मा की वह विनम्र पुकार है जिसमें वह श्री राधे रानी से अपने ठाकुर, अपने नंदलाल, अपने श्रीकृष्ण के दर्शन और संग की विनती करती है। यह भजन केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि एक जीवात्मा की उस तड़प का संगीत है जो अपने प्रभु से मिलने के लिए राधारानी की शरण में गई है।
भजन की पहली पंक्ति ही अपने आप में प्रार्थना है — "मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से इक बार," — इसमें वह भक्त राधा रानी को अपनी सरकार कहकर पुकारता है, क्योंकि राधे ही तो श्रीकृष्ण की कृपा की द्वारिका हैं, वही तो हैं जो ब्रजवासियों की पीड़ा सुनकर कृष्ण तक पहुंचाती हैं।
इस भावगीत में श्री राधा रानी को भानु दुलारी और बरसाने वाली कहकर पुकारा गया है — जो दर्शाता है कि लेखक ने राधारानी की लीलाओं, स्वरूप और महिमा को गहराई से जाना है। जब वह कहता है "गोलोक के ठाकुर प्यारे, तीन लोक के ठाकुर प्यारे," तब यह स्पष्ट होता है कि यह केवल ब्रज के कृष्ण नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के स्वामी की आराधना है।
भजनकार ने यह भी भावपूर्ण ढंग से कहा कि "तू ही मोहन तू ही राधा, तुझ बिन मोहन आधा आधा" — यह पंक्ति राधा-कृष्ण की एकरूपता को दर्शाती है, कि कृष्ण राधा के बिना अधूरे हैं, जैसे आत्मा बिना परमात्मा के।
भजन के अंतिम पदों में वह राधारानी से बार-बार एक ही गुहार करता है — कि "मेरा सोया भाग्य जगा दे, हे श्यामा मोहे श्याम मिला दे," — यह प्रार्थना केवल दर्शन की नहीं, बल्कि आत्मिक मिलन की है। यह उस भक्त की पुकार है जो जानता है कि ठाकुर तक पहुंचने का एकमात्र माध्यम राधा ही हैं।
इस भजन को जिसने भी रचा है, उसने श्री राधा रानी की महिमा, उनकी कृपा, और ठाकुर से मिलने की भक्ति की भावना को इतनी सुंदरता से व्यक्त किया है कि हर पंक्ति हृदय को छू जाती है। यह भजन राधा-कृष्ण के प्रेम में डूबे हर उस भक्त के लिए संजीवनी समान है जो राधे की कृपा से ठाकुर के चरणों में स्थान पाना चाहता है।