तू टेढो तेरी टेढ़ी रे नज़रिया भजन लिरिक्स tu tedo teri tedi re nazariaa bhajan lyrics

तू टेढो तेरी टेढ़ी रे नज़रिया



तू टेढो तेरी टेढ़ी रे नज़रिया ।

गोकुल तेरो टेढ़ो, वृन्दावन तेरो टेढ़ो ।
टेढ़ी रे तेरी मथुरा नगरिया ॥

मुकुट तेरो टेढो, लकुट तेरी टेढ़ी ।
टेढ़ी रे श्याम तेरे मुख की मुरलिया ॥

भैया तेरो टेढो, बाबा तेरो टेढो ।
टेढ़ी रे श्याम तेरी यसुदा मैया ॥

गोपी सब टेढ़ी, ग्वाल सब टेढ़े ।
टेढ़ी रे तेरे प्रेम की डगरिया ॥

भक्त सब टेढ़े, भक्तानी सब टेढ़ी ।
सीधी रे श्याम राधा गुजरिया ॥

स्वर : श्री देवकी नन्दन ठाकुर जी महाराज



श्रेणी : कृष्ण भजन



Tu Tedo Teri Tedi रे नजरिया || Shree Devkinandan Thakur Ji !! New Krishna Song #Bhaktigeet

"तू टेढ़ो तेरी टेढ़ी रे नज़रिया" — यह भजन श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज द्वारा स्वरबद्ध एक अत्यंत सुंदर, चंचल और भावप्रवण कृष्ण भजन है, जो श्याम सुंदर की निराली और टेढ़ी मुरली वाली लीला को बड़े ही प्रेम से दर्शाता है। यह भजन राधा-कृष्ण के प्रेम की उस अनोखी दुनिया की झलक देता है जहाँ सब कुछ सीधा होकर भी श्याम की लीला में टेढ़ा दिखाई देता है — और यही उनका माधुर्य है।

भजन की पहली पंक्ति — "तू टेढ़ो, तेरी टेढ़ी रे नजरिया" — श्रीकृष्ण की उस चंचल दृष्टि को समर्पित है, जो प्रेमियों के दिल को भेद देती है, मगर दिखती है शरारत भरी और टेढ़ी। यह नजरिया प्रेम में डूबे भक्त के लिए जीवन का रास्ता बन जाती है।

जब कहा जाता है — "गोकुल तेरो टेढ़ो, वृन्दावन तेरो टेढ़ो, टेढ़ी रे तेरी मथुरा नगरिया" — तो यह श्याम के पूरे लोक का चित्रण करता है, जिसमें हर एक स्थान उनकी लीला से इतना रंगा हुआ है कि सीधा कुछ भी नहीं लगता। सब कुछ उनकी माया में डूबा हुआ है।

"मुकुट तेरो टेढ़ो, लकुट तेरी टेढ़ी, टेढ़ी रे श्याम तेरे मुख की मुरलिया" — इन पंक्तियों में कृष्ण की रूप-माधुरी की झलक है। उनका मुकुट भी टेढ़ा है, मुरली भी टेढ़ी है — मगर इन्हीं टेढ़ी चीज़ों में ही तो सीधा, सच्चा और गूढ़ प्रेम छिपा है।

भजन आगे बढ़ते हुए यह भी कहता है कि — "भैया टेढ़े, बाबा टेढ़े, टेढ़ी रे श्याम तेरी यशोदा मैया", और "गोपियाँ टेढ़ी, ग्वाल सब टेढ़े" — यानी जो भी श्रीकृष्ण की माया में आया, वह सीधे रास्ते से नहीं गया। श्याम के प्रेम में पड़कर हर कोई टेढ़े रास्ते पर ही चला — वह रास्ता जो दुनिया की समझ से परे है, मगर आत्मा को परमात्मा तक पहुँचाता है।

अंत में, जब पंक्ति आती है — "भक्त सब टेढ़े, भक्तानी सब टेढ़ी, सीधी रे श्याम राधा गुजरिया" — तो यह संदेश मिलता है कि इस टेढ़ी-मेढ़ी माया में भी केवल एक राधा ही हैं, जो अपने श्याम के प्रेम में इतनी सीधी हैं कि उनके प्रेम का रास्ता ही सबसे सरल और सच्चा है।

इस भजन को सुनते ही श्रोता के हृदय में कृष्ण लीला का वह अनोखा चित्र बनने लगता है जहाँ प्रेम की टेढ़ी गलियों में भटककर भी अंततः आत्मा को परम सत्य — श्रीकृष्ण — का साक्षात्कार होता है। यह भजन केवल हास्य नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की झलक, ब्रज की मस्ती और राधे-कृष्ण के दिव्य प्रेम की गहराई है, जिसे श्री देवकीनंदन ठाकुर जी ने अपने मधुर स्वर और मधुर भावों से अनुपम बना दिया है।

Harshit Jain

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