हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ,
आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ,
कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल छबि को सदा निहारूँ,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
बाम भाग शोभति जग जननी,
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हिरदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
बधन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
श्रेणी : आरती संग्रह
हे राजा राम तेरी आरती उतारू || Hindi Ram Ji Ki Aarti
"हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ" एक भक्ति गीत है जो भगवान श्रीराम की महिमा और उनके अद्वितीय गुणों का गान करता है। इस आरती में भक्त अपनी गहरी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करते हुए भगवान श्रीराम की आरती उतारते हैं, और उनके चरणों में अपनी समर्पण की भावना प्रकट करते हैं।
इस आरती की शुरुआत में भक्त कहते हैं, "हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ, आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ," जिसमें भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान श्रीराम की आरती उतारने की प्रार्थना करते हैं, और अपने तन और मन को भगवान श्रीराम के चरणों में अर्पित करते हैं।
इसके बाद, आरती में भगवान राम के दिव्य शिहांसन और रजत जोड़ी का वर्णन किया गया है। साथ ही, दशरथ नंदन और जनक किशोरी के रूप में भगवान राम और सीता की युगल छवि को ध्यान में रखते हुए भक्त उनकी सदा प्रशंसा करते हैं। यह दर्शाता है कि भक्त उनके दिव्य रूप को देखकर सदा निहारना चाहते हैं।
आरती में भगवान राम के बाएं भाग के बारे में भी वर्णन किया गया है, जो जग जननी के लिए शोभित है, और उनके चरणों में सदा पवित्रता और भक्ति को महसूस करने की इच्छा व्यक्त की गई है।
हनुमान जी की आराधना और उनकी भक्ति का भी उल्लेख है, जहां भक्त कहते हैं कि हनुमान जी की आरती उनके मन को बहुत भाती है, और राम कथा को वे दिल में उतारने की कामना करते हैं।
अंत में, आरती में गंगा के जल का उल्लेख करते हुए भक्त कहते हैं कि गंगा नदी के जल की तरह भगवान श्रीराम के चरणों में सब कुछ पवित्र हो जाता है, और वे उन चरणों में अपने शीश को झुका देते हैं।