किन्हीं आज्ञा पाल किन्हीं देह लाल
किन्हीं आज्ञा पाल किन्हीं देह लाल किन्हीं तेज चल उड़ चले।
जय बजरंग बली हनुमान। कहलाते हैं सेवक राम।।
मित्र सुग्रीव की विपदा मिटाई, सियाराम से भेंट कराई।
काज किये सब भले।।
दानव दल को मार गिराए, माँ सीता की सुधि ले आये।
लंका धू धू जले।।
लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी, बूटी लाये न देरी की थी।
भैया लखन उठ चले।।
ऐसा योद्धा है जग नहीं, सीयाराम बसते मन माहीं।
सारी विपदा टले।।
है 'अनुरोध' पवनसुत मेरे, जपूँ नाम मैं सांझ सवेरे।।
अवगुण मेरे जले।।
श्रेणी : हनुमान भजन

यह भजन श्री हनुमान जी की महिमा का गान करता है और उनकी अद्भुत शक्ति, वीरता और रामभक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस भजन में हनुमान जी के कार्यों का उल्लेख किया गया है, जैसे सुग्रीव की विपत्ति को दूर करना, सीता माता की खोज में लंका जलाना और लक्ष्मण जी की चिकित्सा में मदद करना। इसे "जय बजरंग बली हनुमान" के उद्घोष के साथ एक शक्तिशाली स्तुति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो भक्तों को हनुमान जी की उपासना और उनके नाम का जप करने के लिए प्रेरित करता है।
भजन के हर पद में हनुमान जी की महानता और उनकी रामभक्ति को व्यक्त किया गया है। यह भजन ना केवल एक धार्मिक स्तुति है, बल्कि यह भक्तों को यह याद दिलाता है कि भगवान हनुमान अपने भक्तों की हर कठिनाई को दूर करने में सक्षम हैं और उनके नाम का जप करने से सभी विपत्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।
यह भजन 'अनुरोध' द्वारा रचित है, जो उनकी आस्था और भक्ति का प्रतीक है। "पवनसुत" के रूप में हनुमान जी को पुकारते हुए, यह भजन उनकी उपासना का एक सुंदर तरीका है। इस भजन का हर शब्द भक्तों को हनुमान जी के नाम का जाप करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि उनके जीवन से सभी अवगुण जल जाएं और भगवान हनुमान की कृपा से हर विपत्ति का नाश हो।