राम नाम गुण गाये जा श्यामनाम गुण गायेजा
रामनाम गुण गायेजा, श्यामनाम गुण गायेजा।
सुमिरण करले ध्यान लागाले,जीवन सफल बनायेजा।।
तेरा मेरा मेरा तेरा करके उमर गँवाई।
लाख करोड़ी दौलत पाई फिर भी शांति न आई।।
रामनाम के हीरे मोती पाले और लुटायेजा।।
जिसको कहता तू नित अपना वो सब झूठे नाते।
अन्त समय जब आता है तब कोई न साथ निभाते।।
दया धरम कर पुण्य कमाले प्रभु से नेह लगाएजा।।
दीन दुखी की सेवा करके प्रभु को पास बुलाले।
तीरथ न जा गंगा मत नहा मन का मैल छुडाले।।
रामनाम की निर्मल धारा वा में गोते लगायेजा।।
सुख दुख देने वाला वो है कर्म जो तूने आप किये।
करी शिकायत झूठे जग से व्यर्थ ही तूने विलाप किये।
कर 'अनुरोध' पतित पावन से तेरा दुख मिट जाएगा।।
श्रेणी : राम भजन

"राम नाम गुण गाए जा, श्याम नाम गुण गाए जा" यह भजन एक गहरा आध्यात्मिक संदेश लिए हुए है, जो हमें जीवन के सत्य और भक्ति के महत्व को सहज भाव में समझाने का कार्य करता है। यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक आत्मजागरण का आह्वान है, जिसमें राम और श्याम नाम के जप को जीवन का सर्वोत्तम मार्ग बताया गया है।
इस भजन में बताया गया है कि मनुष्य जीवन माया-मोह, तेरा-मेरा, धन-दौलत की दौड़ में व्यर्थ चला जाता है, लेकिन अंत में वही राम नाम शरण देता है, जिससे जीवन सार्थक बनता है। भजन यह भी समझाता है कि असली सुख शांति किसी धन, रिश्ते या भौतिक वस्तु में नहीं है, बल्कि प्रभु के नाम-स्मरण और सेवा में है।
कवि 'अनुरोध' जी के भावों में करुणा, सत्संग, सेवा और सच्चे पुण्य कर्मों की प्रेरणा है। वे कहते हैं कि तीर्थ में जाने या बाहरी आडंबरों से अधिक जरूरी है—मन की शुद्धता और प्रभु से प्रेम। यह भजन एक सच्चा आत्मबोध कराता है कि अंत में वही कर्म साथ आते हैं जो प्रभु भक्ति और सेवा के लिए किए गए हों।