अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
तुम्हारी लाडली सीता हुई बेहाल कह देना.....
जब से लंका में आई हूं नहीं श्रंगार कीना है,
नहीं बांधे अभी तक जो खुले हैं बाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
यहां रावण सदा धमकी हमें दिन-रात देता है,
करो तलवार के टुकडे अंजनी लाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
अंगूठी राम को देकर सुनाना हाल सब दिल का,
भूले हैं राम सीता को पवनसुत हाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
अगर कोई दोष है मेरा तो इतना है मेरे स्वामी,
प्राण ना निकले हैं तन से यह मेरा हाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
अगर एक मास के अंदर प्रभु श्री राम ना आए,
तो सीता को ना प्रभु पाए मेरी फरियाद कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
श्रेणी : राम भजन
अयोध्या के नाथ श्री राम से जाकर पवनसुत हनुमान हाल सुना देना कि उनकी प्रिय लाडली सीता दुःखों से घिरी हुई है। लंका में सीता ने श्रंगार छोड़ दिया है, उनके बाल अभी तक बिखरे हुए हैं। रावण की धमकियाँ उन्हें दिन-रात सताती हैं, फिर भी सीता का साहस अडिग है।
राम की दी हुई अंगूठी को सीता का संदेश बना देना और कहना कि उन्हें राम का इंतजार है। सीता का केवल यही दोष है कि वे प्रेम में समर्पित हैं, और प्राण बस राम के दर्शन के लिए बचे हैं। एक मास के अंदर राम ना आए तो सीता की पीड़ा असहनीय होगी।
यह विनती, यह दर्द, यह संदेश लेकर अयोध्या नाथ को सुना देना। कह देना कि एक पतिव्रता नारी अब अपनी सहनशक्ति की अंतिम सीमा पर है।