मन के मंदिर में प्रभु को बसाना लिरिक्स Man Ke Mandir Mein Prabhu Ko Basana Hindi Bhajan Lyrics
मन के मंदिर में प्रभु को बसाना,
बात हर एक के बस की नहीं है,
खेलना पड़ता है जिंदगी से,
आशिकी इतनी सस्ती नहीं है......
प्रेम मीरा ने मोहन से डाला,
उसको पीना पड़ा विष का प्याला,
जब तलक ममता, जब तलक ममता,
जब तलक ममता है ज़िन्दगी से,
उसकी रहमत बरसती नहीं है,
मन के मंदिर में प्रभु को बैठाना,
बात हर एक के बस की नहीं है......
संत कहते हैं नागिन है माया,
इसने सारा जगत काट खाया,
श्याम का नाम, श्याम का नाम,
श्याम का नाम है जिसके मन में,
उसको नागिन ये डसती नहीं है,
मन के मंदिर में प्रभु को बैठाना,
बात हर एक के बस की नहीं है......
तन पे संकट पड़े मन ये डोले,
लिपटे खम्बे से प्रह्लाद बोले,
पतितपावन, पतितपावन,
पतितपावन प्रभु के बराबर,
कोई दुनियाँ में हस्ती नहीं है,
मन के मंदिर में प्रभु को बैठाना,
बात हर एक के बस की नहीं है........
श्रेणी : राम भजन
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